गीता जयंती...5000 साल पहले का दिया श्रीकृष्ण का संदेश आज भी सार्थक

आज है गीता जयंती... संयोग से एकादशी के साथ रविवार भी है...जिस दिन यह संदेश दिया गया उस दिन भी रविवार ही था। गीता के 18 अध्याय...700 श्लोक में वह सब कुछ है जो जीवन जीने के लिए जरूरी है... 5000 साल से भी पहले दिया गया संदेश आज भी सार्थक है,एक एक शब्द हर काल में ग्राह्य है....आज भी जब जीवन में आपाधापी है....तब भी वह मंत्र है, कर्म का....धर्मान्धता के पाखंड से दूर....मुझे नहीं माने उसे कत्ल कर दो या येन केन प्रकारेण मुझे मानने को बाध्य करो,ऐसा कुछ भी नहीं...पर मानव को मानव बनाने वाला दर्शन.... भारत की भूमि पर दिया गया दिव्य ज्ञान.... जब ज्ञान दिया गया उस समय दो सेनाएं आमने सामने थी.... रण भूमि में कर्म का संदेश,ज्ञान, भक्ति का बखान.... युद्ध के मैदान में,हथियार छोड़ते योद्धा को युद्ध करने का संदेश...कर्म करो,बिना फल की चिंता के.... आइये,आज गीताजी में लिखे भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से निकले उस संदेश का भाव समझे... जिंदगी में सुख और दुःख दोनों लगे हुए है, सुख के समय तो हम खुश रहते है लेकिन दुःख के समय यह हमे पहाड़ सा लगने लगता है और हम भगवान को इसका जिम्मेंदार ठहराने लगते है।...