#13 गढ़ में सेंध पर जागेगी भाजपा या करेगी महज खानापूर्ति... कितनी कामयाब होगी गहलोत की कवायद....अब कौनसे महापौर की बारी...?
जयपुर नगर निगम में विष्णु लाटा बगावत कर महापौर बनने में कामयाब हो ही गए और भारतीय जनता पार्टी बहुमत होते हुए भी नगर निगम की सत्ता से बेदखल हो गई ।
भाजपा ने भी विष्णु लाटा को जीतने के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया और बागियों की पहचान के लिए 3 सदस्य समिति का गठन कर दिया ।
क्या यह कार्यवाही पूरी तौर पर की गई है? अथवा भारतीय जनता पार्टी इससे कुछ सबक सीखेगी..?
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी भारतीय जनता पार्टी अब तक संभल पाई हो ऐसा लगता तो नहीं... राजनीति में जीत महत्वपूर्ण होती है ठीक वैसे ही जैसे परीक्षा में किसी का पास हो जाना भले ही वह बच्चा पूरी साल भर पढ़ता रहे,पर उसका रिजल्ट नकारात्मक है तो परिजन उसी में कमी ढूंढते है।
भारतीय जनता पार्टी हार की जिम्मेदारी तय करेगी या फिर विधानसभा चुनाव की तरह हार सामूहिक होती है कह कर टाल देगी..?
जयपुर जैसे भाजपा के गढ़ में विधानसभा चुनाव में मात खाने के बाद नगर निगम में जिस तरह का खेल कांग्रेस कर पाई उसके बाद लगता है कि कांग्रेस इस खेल को और जगह भी आजमायेगी ।कांग्रेस सरकार के बाद सत्ता और संगठन के तालमेल की ओर तेजी से काम कर रही है हाल ही में दो जिला बैठक में हुई धक्का-मुक्की को भी मुख्यमंत्री ने बड़ी गंभीरता से लिया है और उन्होंने जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक की अभिशंसा पर काम होने का संकेत कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय बैठक में दिया है साथ ही अजमेर संसद संसदीय क्षेत्र की बैठक में नगर निगम अजमेर के आयुक्त की शिकायत पर तत्काल कार्यवाही कर अपने इरादों को भी जाहिर किया है।
वैसे यह कितना सटीक बैठेगा ...क्या सत्ता संगठन के अनुसार चल पाएगी ?
यह तो वक्त बताएगा पर ऐसी कवायद भारतीय जनता पार्टी में भी होती रही है मंत्रियों की भाजपा कार्यालय में बैठकर सुनवाई भी हुई है पर सत्ता और संगठन का समन्वय करने में नेता नाकाम हुए जिसका खामियाजा राजस्थान की सत्ता से दूर होकर भाजपा ने भुक्ता है।
।।शिव।।
जयपुर नगर निगम में विष्णु लाटा बगावत कर महापौर बनने में कामयाब हो ही गए और भारतीय जनता पार्टी बहुमत होते हुए भी नगर निगम की सत्ता से बेदखल हो गई ।
भाजपा ने भी विष्णु लाटा को जीतने के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया और बागियों की पहचान के लिए 3 सदस्य समिति का गठन कर दिया ।
क्या यह कार्यवाही पूरी तौर पर की गई है? अथवा भारतीय जनता पार्टी इससे कुछ सबक सीखेगी..?
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी भारतीय जनता पार्टी अब तक संभल पाई हो ऐसा लगता तो नहीं... राजनीति में जीत महत्वपूर्ण होती है ठीक वैसे ही जैसे परीक्षा में किसी का पास हो जाना भले ही वह बच्चा पूरी साल भर पढ़ता रहे,पर उसका रिजल्ट नकारात्मक है तो परिजन उसी में कमी ढूंढते है।
भारतीय जनता पार्टी हार की जिम्मेदारी तय करेगी या फिर विधानसभा चुनाव की तरह हार सामूहिक होती है कह कर टाल देगी..?
जयपुर जैसे भाजपा के गढ़ में विधानसभा चुनाव में मात खाने के बाद नगर निगम में जिस तरह का खेल कांग्रेस कर पाई उसके बाद लगता है कि कांग्रेस इस खेल को और जगह भी आजमायेगी ।कांग्रेस सरकार के बाद सत्ता और संगठन के तालमेल की ओर तेजी से काम कर रही है हाल ही में दो जिला बैठक में हुई धक्का-मुक्की को भी मुख्यमंत्री ने बड़ी गंभीरता से लिया है और उन्होंने जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक की अभिशंसा पर काम होने का संकेत कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय बैठक में दिया है साथ ही अजमेर संसद संसदीय क्षेत्र की बैठक में नगर निगम अजमेर के आयुक्त की शिकायत पर तत्काल कार्यवाही कर अपने इरादों को भी जाहिर किया है।
वैसे यह कितना सटीक बैठेगा ...क्या सत्ता संगठन के अनुसार चल पाएगी ?
यह तो वक्त बताएगा पर ऐसी कवायद भारतीय जनता पार्टी में भी होती रही है मंत्रियों की भाजपा कार्यालय में बैठकर सुनवाई भी हुई है पर सत्ता और संगठन का समन्वय करने में नेता नाकाम हुए जिसका खामियाजा राजस्थान की सत्ता से दूर होकर भाजपा ने भुक्ता है।
।।शिव।।
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