#14-क्या पटेल के बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस भाजपा के अगले   आइकॉन होंगे...?
आज़ादी के 70 साल बाद नेताजी की आज़ाद हिंद फौज को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल कर मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया है।

जिसका सीधा असर सुभाषचंद्र बोस के देश भर में फैले मुरीदों और उनकी जन्मस्थली पश्चिम बंगाल में होगा जहाँ भाजपा जड़े जमाने की फिराक में है।
देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आजाद हिन्द फौज (आईएनए) को आखिरकार आजादी के 70 साल बाद राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का गौरव मिला है और इसके चार पूर्व सैनिक परेड में सेना के रणबांकुरों के साथ दिखायी देंगे। सेना के मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर की झांकी पेश करने वाली गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में यह पहला मौका है जब आईएनए के चार पूर्व सैनिक इस परेड में हिस्सा लेंगे।

उन्होंने कहा कि यह सेना के लिए फक्र की बात है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन सैनिकों की उम्र 95 से 100 साल के बीच की है इसलिए इन्हें चुनने के लिए किसी मानदंड का औचित्य नहीं था। आईएनए के इन जीवित पूर्व सैनिकों से परेड में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया था। ये सैनिक एक खुली जीप में सलामी मंच के सामने से गुजरेंगे। इन पूर्व सैनिकों के नाम चंडीगढ के
श्री लालतीराम (98), गुरूग्राम के श्री परमानंद (99), श्रीहीरा सिंह (97) , और श्रीभागमल (95) हैं।
इसके अलावा लालकिले में भी उनका म्यूजियम बनाकर मोदी ने संदेश देने की कोशिश की है।
लाल किले में अब केवल मुगल इतिहास ही नहीं नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज की गौरव गाथा भी देख सकेंगे हम।
मोदी सरकार ने आज़ादी आंदोलन में केवल कॉन्ग्रेस और गांधी-नेहरू की भूमिका को ही महिमामण्डित करने की सरकारी नीति को उलट कर रख दिया है....
लौह पुरुष सरदार पटेल की प्रतिमा के विश्व कीर्तिमान के बाद लालकिले में एक म्यूजियम आज़ाद हिंद फौज को समर्पित किया।


नेताजी सुभाष चंद्र बोस : आजाद हिंद फौज पर केंद्रित
इस म्यूजियम में आजाद हिंद फौज के वस्त्र, हथियार, लेख सहित इतिहास का वर्णन किया जाएगा। इसके साथ ही आजादी की लड़ाई में आजाद हिंद फौज व नेताजी की प्रमुखता को पर्यटकों को बताने के लिए फिल्म भी दिखाई जाएगी। यही नहीं, आजाद हिंद फौज के प्रमुख कमांडरों के बारे में भी पर्यटक जान सकेंगें।
नेताजी की कुर्सी और तलवार भी देख सकेंगे आप
जानकारी के अनुसार इस म्यूजियम में नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई तलवार, कुर्सी के साथ ही आईएनए से जुड़े पदक, वर्दी, बैज और अन्य चीजें भी देखी जा सकती हैं। बता दें कि आईएनए के खिलाफ जो मुकदमा दायर किया गया था उसकी सुनवाई लाल किले के परिसर में ही की गई थी, यही वजह है यहां संग्रहालय बनने का।

ये होंगी सुविधाएं
म्यूजियम देखने आने वालों को बेहतरीन अनुभव प्राप्त हो इसके लिए इसे खास तौर से डिजाइन किया गया है। बताया जा रहा है कि यहां पेंटिंग, फोटो, पुराने रिकॉर्ड, अखबार की कटिंग, ऑडियो-विडियो क्लिप, मल्टीमीडिया और एनिमेशन की भी सुविधा है।

पीएम मोदी ने बदला अंडमान के तीन द्वीपों का नाम, नेताजी के नाम पर रखा
गौरतलब है कि आजाद हिंद फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 75 साल पहले तिरंगा फहराया था। इसी की 75वीं वर्षगांठ होने के मौके पर कुछ समय पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी अंडमान के दौरे पर गए थे। तब उन्होंने तीन द्वीपों का नाम सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखने का ऐलान किया था। अंडमान के हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा।
फ़ोटो-साभार
।।शिव।।

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