#15 - क्या कांग्रेस का तुरुप का पत्ता मोदी की राह आसान करेगा...? या 80 में से 50 सीट कांग्रेस को दिला देगा..? उम्मीद करिश्में पर या सॉफ्ट टारगेट से...?

प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा की चिर प्रतीक्षित कांग्रेस में एंट्री को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता ऐसे हल्ला मचा रहे हैं मानो अब उत्तर प्रदेश की 80 में से 50 सीटें जीत ही जाएंगे ।
मुझे लगता है परिणाम चाहे जो भी हो पर कांग्रेस अब मां -बेटा पार्टी से भाई- बहन पार्टी बन गई है ठीक वैसे ही जैसे आरजेडी पति-पत्नी पार्टी से आजकल मां बेटा पार्टी बन गई है बसपा कभी साहेब -बहनजी पार्टी से आजकल बुआ- भतीजा पार्टी बनती जा रही है और सपा बाप -बेटा पार्टी से चाचा -भतीजा पार्टी बन गई है ।

भारत की जनता है ,परिवारवाद को सर आंखों पर बिठाती है तो जमीन भी दिखा देती है ।
प्रियंका में इंदिरा का चेहरा देखने वाले भूल जाते हैं श्रीमती इंदिरा गांधी अपने पहले चुनाव में कई राज्यों में हारी और केंद्र में भी स्पष्ट बहुमत वाली सरकार नहीं बना पाई थी 1967 में ।
उनके पिता राजीव गांधी इंदिरा गांधी की हत्या से सहानुभूति की लहर पर सवार होकर 410 सीटों का चमत्कारी आंकड़ा पार कर गए थे तो अगले चुनाव में ही उनकी आधी ही नहीं बचा पाए।
 दो बार माँ-अंकल की सरकार चलाने वाली कांग्रेस आज 50 सीटों पर सिमट गई है ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या प्रियंका इतना करिश्मा कर पाएगी जितनी अपेक्षा कांग्रेस के कार्यकर्ता कर रहे हैं ?
प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के आधे भाग की जिम्मेदारी देकर जिस प्रकार महासचिव बनाया गया है। वह अपने आप में कई सवाल खड़े कर जाता है ।क्या प्रियंका गांधी को सॉफ्ट टारगेट देकर सफल बनाने की कोशिश नहीं हो रही?

वैसे  कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि गांधी परिवार से किसी नेता को लाना है तो उसे सॉफ्ट टारगेट देकर सामने लाया जाए जैसे राजीव गांधी को महासचिव बनाया गया था तो सेवादल की जिम्मेदारी दी गई थी और राहुल गांधी को महासचिव बनाकर अनुषांगिक संगठनों की कमान सौंपी गई थी।
 वैसे ही प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के उस क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है जहां कांग्रेस परंपरागत रूप से मजबूत स्थिति में रही है इसी क्षेत्र से कांग्रेस की रायबरेली और अमेठी लोकसभा क्षेत्र आते हैं और 2009 की सरकार में जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेता मंत्री बने जो इसी क्षेत्र से जीते थे। फूलपुर इलाहाबाद सीट कांग्रेस के लिए अनुकूलता वाली सीट रही है।
अभी यह तय नहीं हो पाया है कि क्या उत्तर प्रदेश को पूर्वी और पश्चिमी भागों में बराबर बराबर बांटा जाएगा तो बुंदेलखंड का इलाका किस तरफ़ किया जाएगा ?
क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया को कम सीटें दी जाएंगी ?
इतना तय है कि प्रियंका गांधी पर बड़ी जिम्मेदारी है उन्हें अपने छोटी सी उम्र के कमजोर कंधों पर डगमगाती कांग्रेस की संभाल करनी है जिसे उनके बड़े भाई राहुल गांधी संभाल नहीं पाये।इसके अलावा उन्हें अपने बड़बोले और तिकड़मी  पति रॉबर्ट वाड्रा का बोझ भी सहना है वह भी सार्वजनिक क्षेत्र में जब उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले चल रहे हो।
 प्रियंका गांधी खूबसूरत है, युवा है और युवा मतदाताओं में अपना क्रेज स्थापित कर सकती है।
रायबरेली और अमेठी लोकसभा क्षेत्र के चुनाव के दौरान उन्हें प्रचार करते देखने वाले उत्तर प्रदेश की अमेठी के रहने वाले रमेश कुमार कहते हैं प्रियंकाजी साड़ी पहनकर किसी बस्ती में जाकर महिलाओं से सीधा सम्पर्क करती हैं और संवाद स्थापित करने से दलितों के बीच में लोकप्रिय है पर उनका यह कहना सवाल भी खड़े करता है ।
क्या प्रियंका गांधी सपा बसपा का खेल नहीं बिगाड़ देगी? और यदि सपा बसपा का खेल बिगड़ता है तो भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मजबूत स्थिति के साथ उत्तर प्रदेश से सीटें जीत कर लोकसभा में सरकार बनाने के लिए अपने हिस्से का बहुमत हासिल करने में कामयाब हो जाएगी।
।।शिव।।

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