#20
मोदी का मास्टर स्ट्रोक, कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष सदमे में रामलल्ला का बनेगा क्या अब भव्य मंदिर।
तारीख पर तारीख देते कोर्ट और जनता में छाई बेचैनी को देखते हुए सरकार ने आज राम जन्मभूमि मसले पर बड़ा फैसला किया है केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत भूमि जो कि विवाद से परे हैं को राम जन्मभूमि न्यास को सौंपने का निर्णय किया है यदि भूमि राम जन्मभूमि न्यास को मिलती है भगवान राम का भव्य मंदिर बनाना कभी भी प्रारंभ किया जा सकता है ।
सर्वोच्च न्यायालय में अपने वकीलों की फौज खड़ी कर निर्णय को लोकसभा चुनाव तक टाल देने की पैरवी करने वाली कांग्रेस के लिए मोदी सरकार का ही मास्टर स्ट्रोक बेचैनी भरा हो सकता है ।
वहीं राम जन्म भूमि के समर्थक लोगों को भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार का लोकलुभावन निर्णय भी । मोद
केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली 67 एकड़भूमि जिसका अधिग्रहण किया गया था ।इस भूमि में 0.313 एकड़ भूमि ही विवादित है बाकी गैर विवादित है।
ये है भूमि की कहानी
वर्ष1993 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की करीब 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण इसलिए किया गया था कि जिस पक्षकार के पक्ष में फैसला आएगा, जमीन उसे दे दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की बात कही थी।
अब मोदी सरकार ने कोर्ट से कहा है कि विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ पर है। बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। लिहाजा इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी तबसे यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पिछले आठ साल से लंबित है।
अब देखना यह है कि क्या कोर्ट इस पर भी तारीख पर तारीख देती है या फिर कोर्ट के निर्णय से एक नई तारीख का जन्म होता है ,जिस तारीख को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा ।
मोदी ने फिर एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह निर्णय लेने में कोई देरी नहीं करते और अपने राजनीतिक विरोधियों पर कोई रहम नहीं करते ।
मोदी ने सरकार संभालते हुए ठीक ही कहा था 4 साल लोकनीति 1 साल राजनीति।शायद कांग्रेस को समझ में आ जाए सवर्ण आरक्षण के बाद आज का यह फैसला भी मोदी की वह पछाड़ है जो विपक्ष को घाट घाट का पानी पीने को मजबूर कर देगी ।
आखिर रामलला चाहते क्या हैं यह तो वो जाने पर हम तो यही कहेंगे “होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा”...
।।शिव।।
मोदी का मास्टर स्ट्रोक, कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष सदमे में रामलल्ला का बनेगा क्या अब भव्य मंदिर।
तारीख पर तारीख देते कोर्ट और जनता में छाई बेचैनी को देखते हुए सरकार ने आज राम जन्मभूमि मसले पर बड़ा फैसला किया है केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत भूमि जो कि विवाद से परे हैं को राम जन्मभूमि न्यास को सौंपने का निर्णय किया है यदि भूमि राम जन्मभूमि न्यास को मिलती है भगवान राम का भव्य मंदिर बनाना कभी भी प्रारंभ किया जा सकता है ।
सर्वोच्च न्यायालय में अपने वकीलों की फौज खड़ी कर निर्णय को लोकसभा चुनाव तक टाल देने की पैरवी करने वाली कांग्रेस के लिए मोदी सरकार का ही मास्टर स्ट्रोक बेचैनी भरा हो सकता है ।
वहीं राम जन्म भूमि के समर्थक लोगों को भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार का लोकलुभावन निर्णय भी । मोद
केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली 67 एकड़भूमि जिसका अधिग्रहण किया गया था ।इस भूमि में 0.313 एकड़ भूमि ही विवादित है बाकी गैर विवादित है।
ये है भूमि की कहानी
वर्ष1993 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की करीब 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण इसलिए किया गया था कि जिस पक्षकार के पक्ष में फैसला आएगा, जमीन उसे दे दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की बात कही थी।
अब मोदी सरकार ने कोर्ट से कहा है कि विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ पर है। बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। लिहाजा इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी तबसे यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पिछले आठ साल से लंबित है।
अब देखना यह है कि क्या कोर्ट इस पर भी तारीख पर तारीख देती है या फिर कोर्ट के निर्णय से एक नई तारीख का जन्म होता है ,जिस तारीख को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा ।
मोदी ने फिर एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह निर्णय लेने में कोई देरी नहीं करते और अपने राजनीतिक विरोधियों पर कोई रहम नहीं करते ।
मोदी ने सरकार संभालते हुए ठीक ही कहा था 4 साल लोकनीति 1 साल राजनीति।शायद कांग्रेस को समझ में आ जाए सवर्ण आरक्षण के बाद आज का यह फैसला भी मोदी की वह पछाड़ है जो विपक्ष को घाट घाट का पानी पीने को मजबूर कर देगी ।
आखिर रामलला चाहते क्या हैं यह तो वो जाने पर हम तो यही कहेंगे “होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा”...
।।शिव।।
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