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कुम्भ-विचार हो!
कल शाही स्नान के साथ ही हो गया कुम्भ का आगाज....सदियों पुरानी श्रद्धा,आस्था,विश्वास की त्रिवेणी के वैचारिक मंथन का आरम्भ...प्राचीन समय में अमीर,गरीब,राजे-महाराजे,संत-साधु,शिक्षक,किसान,ज्ञानी,नादान सब आते थे बिना किसी निमंत्रण और बिना किसी भेदभाव...

एक साथ उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम, पश्चिमी से दक्षिण, पूर्व से उत्तर अर्थात सम्पूर्ण भारत से आने वाले लोग अपनी नई खोजों,अनुसंधानों,विचारों को आम जन और विद्वानों के बीच रखते थे जहां विचार मंथन होता और उस पर निर्णय किया जाता सामुहिकता से,सहजता से।

उस निर्णय को भारत के जन जन तक पहुंचाने के लिए संपर्क और संवाद की ऐसी विधि उपयोग में ली जाती की लिए गए निर्णय सुदूर गांव ढाणी में रहने वाले लोगों तक पहुंचते...आए हुए लोग अपने गांव तक... साधु संत वापस जाते समय गांव, नगरों में अपने प्रवचन में और राजा महाराजा अपने आदेशों के माध्यम से समाज द्वारा लिए गए निर्णय को व्यवस्था में लाते....

सदियों पहले बिना किसी संचार के माध्यम के...बिना किसी तकनीक के...एक निश्चित समय पर लाखों लोगों का एक स्थान पर आना...एक भाव के साथ आना और वहां विभिन्न विषयों पर विचार मंथन करना ...अपने आप में एक अद्भुत है,आलौकिक है और भारत की प्राचीन परंपरा और इतिहास पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है।

 समाज में जातिगत भेदभाव, वर्ण व्यवस्था के कोई चिन्ह इन कुंभ में नहीं मिलते कारण यह है कि यह मूल विचार है भारत का । बिना किसी शासकीय आश्रय के संतो के मार्गदर्शन में, बिना किसी सूचना तंत्र के लोगों का आना अपने आप में विलक्षण है दुनिया में ।
सबसे बड़ा मानवीय जमावड़ा इस कुंभ को कहते हैं, कालचक्र की गति से कुछ विसंगतियां यहां भी आई होंगी पर आज भी नियत समय पर एकत्रित होने श्रद्धा और विश्वास के माहोल मैं लोगों का आना अद्भुत है,अलौकिक है ।

इस वर्ष का कुंभ अपने आप में कई मामलों में नव चेतना का शंखनाद करता दिखाई देता है ।पहली बार तीसरी दुनिया के अखाड़े को ना केवल मान्यता दी गई बल्कि जूना अखाड़े के साथ उन्होंने शाही स्नान भी किया,इतना ही नहीं लगभग डेढ़ सौ बरस बाद इलाहाबाद का संगम प्रयागराज के रूप में सामने आया है और इसका श्रेय जाता है 2014 के चुनाव में समाज की संगठित शक्ति द्वारा विचार के आधार पर मतदान करने को। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी उत्तर प्रदेश के जनमानस में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा मंदिर में घंटियां बजाने पर रोक लगाने जैसे तुगलकी फरमान के खिलाफ औऱ गाय गंगा गौरी की पवित्रता के लिए मतदान किया था। उत्तर प्रदेश की नई सरकार ने बदलाव की जन भावना और मानसिकता का पूरा सम्मान करते हुए विभिन्न स्थानों का नाम परिवर्तन किया है जिसमें दुनिया भर के 100 करोड़ हिंदुओ के विश्वास के प्रतीक प्रयागराज का नामकरण फिर से किया गया है।
इसके अलावा गौरी अर्थात बालिकाओं की रक्षा के लिए सरकार ने अपने पहले निर्णय के रूप में एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया है।
इसके अलावा वहां के किसानों  को कहा गया है कि वे गोवंश का पालन करें यदि बेसहारा आवारा गोवंश को वह पालते हैं तो गौशालाओं को दिया जाने वाला अनुदान उन किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा । गौतमबुद्ध नगर में रहने वाले मनोज बताते हैं पिछले डेढ़ साल अपराधियों में भय का माहौल बना है और लोग मुखर होकर बोलने लगे हैं वहीं गाजियाबाद के महेश कहते हैं इस सरकार ने गरीब कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं ।
प्रयागराज की यात्रा से पहला कुंभ स्नान करके लौटे और राजस्थान के प्रमोद कुमार बताते हैं कि श्रद्धालुओं की यात्रा और सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं।

 यह कुंभ अपने प्राचीन गौरव और परंपरा के साथ फिर से विचार मंथन का केंद्र बनें,मानवता का सबसे बड़ा जमावड़ा...एक आकलन के अनुसार लगभग 15 करोड लोग जो यहां आने वाले हैं वे केवल तीर्थाटन के विचार से ना आए बल्कि वे वाहक बने सामाजिक समरसता के,जाति विहीन समाज के जैसे कुम्भ का संदेश है एक समाज,एकजुट समाज.....राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अजेय कुमार कहते है कि अब आवयश्कता है हम भेदभाव भूल एक मंदिर,एक कुआं, एक श्मशान -एक समाज के भाव से आगे बढ़ें तभी समर्थ और सशक्त भारत का ध्येय पूरा हो सकता है। हिन्दू समाज का सबसे बड़ा उत्सव बिना किसी भेदभाव के होता है सदियों से तो,किसी काल में किसी कारण आई जड़ता को तोड़ना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए जिससे समाज संगठित हो ।
।।शिव।।

Comments

MANJU said…
अब समय परिवर्तनशील है और सार्थक परिणाम प्राप्त करने हेतु उत्तम सुझाव हैं।

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