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#समाज #कल्याण छात्रावास-काश!बदले तस्वीर....
समाज में आई विकृति का शिकार होकर बरसों से अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहे एक वर्ग के वोट को देखकर..... उनकी मतदान शक्ति को ध्यान में रखकर हर राजनैतिक दल घोषणाएं करता है,योजना बनाता है,क्रियान्वयन की कोशिश करता है......
राजस्थान में इस वर्ग की शिक्षा के लिए समाज कल्याण विभाग अंबेडकर छात्रवासों का संचालन करता है....इन छात्रावासों में क्योंकि सरकार द्वारा संचालित है तो अधिकारियो की सरकारी स्टाइल तो होगी ही....पर छोटी छोटी बातों पर बतंगड़ बनाने वाले नेता कभी झांकते तक नहीं कि वे बच्चे कैसे रहते है....जलसों और बधाइयों के बैनर पर पैसों को स्वाहा करने वाले नेता और तथाकथित सामाजिक झंडाबरदार क्यों इनके लिए बेरुखे हो जाते है....अपने आप में एक सवाल है और बड़ा सवाल है....
राज्य में 780 छात्रावास समाजकल्याण विभाग द्वारा संचालित किए जाते है जिनमें से लगभग 80 अनुदानित है।
क्या समाज में 780 ऐसे लोग नहीं मिल सकते जो राजनीति से परे,सेवा के भाव से उनके संचालन में अपना योगदान दें.....शायद नहीं है इसीलिए देइ ( बूंदी) के छात्रावास के बच्चे सोने के लिए गद्दे जैसी व्यवस्था के लिए तरसते है...?
यह तो उच्चाधिकारियों का ही निरीक्षण था कि पोल खुल गयी नहीं तो....अंधेर नगरी....
पांच साल पहले ऐसे ही एक बार तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री अरुण चतुर्वेदी एक होस्टल में पहुंचे थे तो उनको निरीक्षण की खानापूर्ति करवाने की कोशिश की गई थी पर वे टॉयलेट तक पहुंच गए जहां सड़ांध थी और गंदगी का आलम देख मंत्रीजी का पारा सातवें आसमान पर था......
कार्यवाही भी हुई....आदेश भी निकले....
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी दो साल पहले इन छात्रावासों का अध्ययन कर एक रपट बनाई थी और सरकार को सौंपी थी.....
खैर, अब नए बनें मंत्री तेज तर्रार माने जाते हैं... वे अनुभवी है,औऱ इस वर्ग की पीड़ा को समझते भी है तो उम्मीद है दई जैसे हालात बदलेंगे.....
।।शिव।।
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