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#मोदी चलेगा फिर जादू.....या 22 दल पका लेंगे कोई खिचड़ी...सवाल बड़ा है,पर जबाब तो देना ही है...कौन देगा जबाब.....



कोलकाता में ममता ने हुंकार भरी तो 21 दलों ने अपनी अपनी घण्टी,घड़ियाल साथ बजाकर मोदी के खिलाफ युध्द का ऐलान किया तो कांग्रेस अध्यक्ष और बसपा अध्यक्ष की दूरी ममता के अभिषेक पर सवाल उठा गयी...
मुलायम के अखिलेश ने कहा ये चुनावी सभा नहीं तो इसके पीछे के संकेत आप समझ सकते है...? क्या बबुआ भुआ को छोड़ पाएंगे?
कांग्रेस अध्यक्ष वहां चले जाते तो सुविधा की राजनीति खत्म हो जाती क्योंकि वहाँ कांग्रेस टीएमसी के खिलाफ लड़ती है और लाल सलाम वालों के खिलाफ भी...
फिर पीएम की दावेदारी पर सवालिया निशान लग जाते इसलिए दोनों माया-राहुल ने दूरी बनाये रखी...
वहां भाजपा से जिंदगी भर बहुत कुछ लेते रहे औऱ अभी भी उसी से चिपके हुए यशवंत, शौरी और शत्रु ने मुद्दों की बात पर अपनी ही राग अलाप कर ममता को गदगद कर दिया....
40  लाख ली भीड़ आने के दावे के बाद खुद ममता का 10 लाख का दावा करना और प्रत्यक्षदर्शियो का एक लाख से कम संख्या का जुटने के प्रति दावे ने भावी गठबंधन पर सवाल खड़े कर दिये....

झाड़ू वाले केजरीवाल ने तो कह भी दिया दिल्ली,पंजाब में अकेले लड़ेंगे,कांग्रेस और अजीतसिंह वाली को यूपी में 2-2 सीट बख्शीश में देने वाली बबुआ-भुआ के साथ क्या कांग्रेस अपने आपको खड़ा करके खत्म नहीं कर लेगी....
क्या आंध्रप्रदेश में बाबू के साथ मिलकर अपने अस्तित्व को दांव पर नहीं लगा देगी....
क्या प्रकाश करात वाली लाल पार्टी बंगाल में ममता से ही मिल जाएगी और केरल में कांग्रेस से मिलकर UF-LF की समाप्ति की कहानी लिखेंगे....
सवाल बहुत है..ममता हो या माया,लालू के लाल हो या सपा के मुखिया या फिर देखो भैया वाले कांग्रेस के खेवनहार.....सब कतार में है,इंतज़ार में है...कब टूटे झिंका सत्ता की हांडी का...
इसी बीच कांग्रेस का एक धड़ा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आगे कर रहा है धीरे धीरे ...वैसे ही जैसे पांच साल पहले वसुंधरा राजे को पीएम से पार्टी अध्यक्ष तक के लिए आगे किया गया था....
राजस्थान से कभी स्व.भैरोंसिंह शेखावत और जसवंतसिंह जसोल के नाम भाजपा में आगे बड़े थे...जसोल पिछले चुनाव में बगावत का बिगुल फूंक चुके और उनके पुत्र अब कांग्रेस में शामिल हो गये....
7 लोकसभा सीट वाली दिल्ली के  केजरीवाल जब पीएम के रॉ-मैटेरियल हो सकते है तो क्या राजस्थान वाले 25 सीटों के बावजूद कभी खम्भ क्यों नहीं ठोक पाये....?
खैर, बात फिर से उसी रैली की...जहां लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाकर दिल्ली की कुर्सी के लिए हुंकार भरी गयी वहां एक राजनैतिक पार्टी को अपनी गतिविधियों के लिए इजाजत नहीं दी जाती,केंद्रीय एजेंसियों पर रोक लगाकर संघीय ढांचे को चुनौती दी जाती हो और राजनैतिक विरोधियों की  हत्या हंसी खेल हो....वहीं से लोकतंत्र की गुहार लगाई गई....
शत्रुघ्न इतने ही ईमानदारी से मोदी विरोधी है तो 5 साल से सांसद है,उसी भाजपा से जो मोदी को ही अपना नेता मानती है....शत्रु इस्तीफा देने का हौसला नहीं जुटा पाये... यशवंत सिन्हा नोकरशाह से अटल कृपा से राजनेता बने....देश को समझाने चले है पर अपने पुत्र को अभी तक समझा नहीं पाए वे मोदी सरकार में मंत्री है और शौरी जी तो है ही....
फारुख अब्दुल्ला ने EVM पर सवाल उठाये.... तो क्या कांग्रेस की राजस्थान,मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में जीत पर ही सवाल नहीं उठा दिए....?

गठबंधन की बाट जोहती कांग्रेस कर्नाटक में अपने ही विधायकों की जूतम पैजार में उलझ गई है तो मध्यप्रदेश में कभी भी कर्नाटक जैसा नाटक हो सकता है...
खैर, आगे आगे देखिए होता है क्या....? मोदी तोप पर चढ़कर किसी बनते दुर्ग को गिराएंगे या अपने वाले को बचाएंगे...?
एक गुजराती सहयात्री ने  एक रोचक टिप्पणी की...."साहेब,संकट से उभरने की कला जानते है क्योंकि वे सोते कम और सोचते ज्यादा है,पड़ोसी को भी भनक नहीं लगने देते इरादा क्या है।"
क्या बुलंद इरादे 22 दलों की दाल को गलने देंगे या हंडिया को दाल पकने से पहले ही फोड़ देंगे?
यह तो वक्त ही बताएगा....पर आने वाला चुनाव देश को बहुत कुछ बता जायेगा.....
।।शिव।।

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