मित्रों
राम राम।
भगवान सूर्यनारायण उत्तरायण हुए है....संक्रांति ...संक्रमण काल से निकलकर बाहर आने का उत्सव...धरती से आसमान की ओर उड़ने का उत्सव...पर शर्त के साथ,जमीन से मजबूती से जुड़े रहें...चुनौती चाहे कुछ भी हो हवा के साथ बहकर भी अपना अस्तित्व बचाने, साबित करने का संकल्प ही तो याद दिलाती है आसमान में उड़ती पतंग।
पिछले दिनों बहुत लोगों से,अपनों से मिलना हुआ तो एक बात ध्यान में आई...एक शुरुआत हो फिर से,नियमित लेखन की।
आज बैठा था तो मेरी टेबल पर नजर पड़ी,मेरी टेबल पर पांच नए पेन जो मुझे पिछले दिनों भेंट में मिले।
पांच मित्रों से भेंट स्वरूप मिली कलमों को देख लगा पंच निर्णय है,लिखना चाहिए और शुरुआत करने का इससे शुभ दिन क्या हो सकता है।
ईश्वरीय सत्ता में श्रद्धा,पूर्वजों में आस्था,अपनों के विश्वास के साथ  आज से नियमित लेखन की शुरुआत कर रहा हूँ।
उम्मीद है आप सबका स्नेह मिलेगा।
।।शिव।।

Comments

Hansdhwani said…
Aapko Shubhkamnaayein....👍👍🙏🙏🌹🌹
Unknown said…
यह शुरुआत तो हर दृष्टि से सरावणजोग है भासा । आप तो लिखते-पढ़ते रहते ही हैं । यह सवाई हो, यही प्रार्थना है ।
जय-जयकार हो ..।।।।
आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
Unknown said…
उत्तम उत्तम उत्तम भाई
Unknown said…
अशेष मंगलकामनायें **लेखनी प्रखर हो

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