#22
बजट-चारों खाने चित्त विपक्ष, मोदी की लगातार तीसरी किक...गोल की हैट्रिक
2 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव की आहट स्पष्ट सुनाई देने लगी है, कांग्रेस ताबूत, ताबूत वाली तर्ज पर अब राफेल राफेल चिल्लाने लगी है तो राहुल गांधी ने बहन को आगे कर एक मैसेज देने की कोशिश की है ।
वही गेस्ट हाउस कांड का गम भूली बुआ मायावती ने मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश को भतीजा मान ही लिया है ।
पश्चिम बंगाल को अपने हाथ से जाता देख तिलमिलाई दीदी कभी बाबू नायडू को बतियाती हैं तो कभी मफलर वाले केजरीवाल को संदेश भेज बुलाती है।
इन सबका टारगेट एक है और वह है मोदी। मोदी यही चाहते थे, यह चुनाव 2014 की तर्ज पर हो जाए जब मोदी बनाम अन्य और हो और अन्य में कोई चेहरा सामने नहीं है।
2014 में भी कोई चेहरा सामने नहीं था और 2019 में भी विपक्ष कोई चेहरा सामने नहीं ला पाया, लगातार जीत कर अहंकार से भरी भाजपा को जब 3 राज्य के मतदाताओं ने नोटा का फटका दिया तो नरेंद्र मोदी ने अपने जादुई चिराग को रगड़ा ।
चिराग की रोशनी में राजनीति की रपटीली राहों को समझकर लगता है मोदी ने अपना खेल शुरू कर दिया जहां वे ही खिलाड़ी होते है और वे ही रैफरी, उन्हीं का मैदान होता है और विपक्षी खिलाड़ी की स्टिक और बॉल को वे ही नियंत्रित करते है।
सबसे पहले 10 फ़ीसदी सामान्य आरक्षण की गुगली फेंक कर एससी एसटी एक्ट के कारण नाराज हुए जनरल को मनाने की ऐसे शानदार कोशिश की कि विपक्ष के ना उगलते बना ना निगलते ।
दूसरी ओर राम जन्मभूमि का मुद्दा साधु संतों के माध्यम से उठाने की कोशिश कर रही कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर घेर लिया जिसमें गैर विवादित अधिकृत भूमि को श्री राम जन्म भूमि न्यास को समर्पित करने का सरकार ने आग्रह किया है ,अब कांग्रेस विरोध करती है या समर्थन करती है यह उसके रणनीतिकार अभी तक समझ नहीं पाए ।
वहीं प्रियंका के राजनीति में आ जाने के कारण उत्तर प्रदेश जो कि सर्वाधिक लोकसभा सीटें देता है त्रिकोणीय लड़ाई में चला गया है और भारतीय जनता पार्टी उस त्रिकोणीय संघर्ष को जीतने का हर संभव प्रयास करेगी।
समझा जाता है कि अमित शाह और सुनील बंसल की जोड़ी 2014 की तर्ज पर अब फिर उत्तर प्रदेश को संभालेगी ।
कहने को तो उत्तर प्रदेश के प्रभारी और सह प्रभारियों की लंबी चौड़ी सूची होगी पर लगता यही है की शाह- बंसल की जोड़ी 80 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से दांव खेलेगी। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के साथ ही दक्षिणी राज्यों में जहां वे उत्तर भारत में हुई अपनी सीटों की कमी की भरपाई करेगी और बढ़त बनाने की कोशिश करेगी वहां संपर्क फ़ॉर भाजपा अभियान में संपर्क किए गए बड़े नामों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है ।
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अजमाये अपने पुराने बसपा माईनस फार्मूले को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ
आजमाएगी,हाल ही में तृणमूल के दो सांसद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता जॉइन कर चुके हैं।
केरल में अभी तक अपनी उपस्थिति के लिए तरस रही भारतीय जनता पार्टी को सबरीमाला जैसा अवसर मिला है जिसे भारतीय जनता पार्टी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहेगी ।कांग्रेस उत्तर प्रदेश में प्रियंका के नाम पर युवा और तरोताजा चेहरे के साथ मैदान में उतरेगी पर उसके पास संगठन का आधार नहीं है ,वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस में नेताओं के आपसी टकराव के कारण बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनदेखी,राजस्थान में सचिन पायलट को दूसरे पायदान पर खड़ा करने और कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रहे रामेश्वर डूडी की हार में बड़े हाथ होने की चल रही जन चर्चा के साथ ही छत्तीसगढ़ में सत्ता से दूर रहे नेताओं के जमावड़े अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं ।इतना जरूर है कि कांग्रेस ने अलवर के रामगढ़ ( राजस्थान) की सीट जीतकर 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 99 के फैर से निकलकर 100 सीटों का आंकड़ा छू लिया है ।
आज भारतीय जनता पार्टी ने अपने मध्यम वर्ग के मूल वोटों को इनकम टैक्स के ढाई लाख की सीमा को डबल करते हुए 500000 करने की घोषणा कर उनके जख्मों पर मरहम लगाया है। किसानों को पिछले साल के दिसंबर महीने से ₹500 प्रति माह देने का निर्णय कर देश के करोड़ों किसानों को अपनी और जोड़ने का प्रयास किया है ।मजदूरों की पेंशन हो या आधारभूत ढांचे में निवेश के प्रयास सब कुछ अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री मोदी की उस कार्यशैली को इंगित करता है जिसमें वह अब तक गुजरात में अपनाते रहे है।
4 साल पूरे कठोर प्रशासक रहते हैं और अंतिम वर्ष जन हितेषी निर्णय लेते हैं वहीं इस बार केंद्रीय बजट में झलक है,नोटबंदी जीएसटी जैसे कड़े फैसले लेने वाले नेता के बाद लोक कल्याणकारी बजट बनाने वाली सरकार के मुखिया के रूप में उन्होंने आज अपने मतदाताओं का विश्वास जीता है ।
विपक्षी पार्टियों को नए सिरे से अपनी राजनीति के औज़ारों को धार लगानी होगी क्योंकि अब तक लगाई गई धार को मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण,राम जन्मभूमि न्यास को जमीन और बजट में बड़ी घोषणाएं कर भोंथरा कर दिया है।
।।शिव।।
बजट-चारों खाने चित्त विपक्ष, मोदी की लगातार तीसरी किक...गोल की हैट्रिक
2 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव की आहट स्पष्ट सुनाई देने लगी है, कांग्रेस ताबूत, ताबूत वाली तर्ज पर अब राफेल राफेल चिल्लाने लगी है तो राहुल गांधी ने बहन को आगे कर एक मैसेज देने की कोशिश की है ।
वही गेस्ट हाउस कांड का गम भूली बुआ मायावती ने मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश को भतीजा मान ही लिया है ।
पश्चिम बंगाल को अपने हाथ से जाता देख तिलमिलाई दीदी कभी बाबू नायडू को बतियाती हैं तो कभी मफलर वाले केजरीवाल को संदेश भेज बुलाती है।
इन सबका टारगेट एक है और वह है मोदी। मोदी यही चाहते थे, यह चुनाव 2014 की तर्ज पर हो जाए जब मोदी बनाम अन्य और हो और अन्य में कोई चेहरा सामने नहीं है।
2014 में भी कोई चेहरा सामने नहीं था और 2019 में भी विपक्ष कोई चेहरा सामने नहीं ला पाया, लगातार जीत कर अहंकार से भरी भाजपा को जब 3 राज्य के मतदाताओं ने नोटा का फटका दिया तो नरेंद्र मोदी ने अपने जादुई चिराग को रगड़ा ।
चिराग की रोशनी में राजनीति की रपटीली राहों को समझकर लगता है मोदी ने अपना खेल शुरू कर दिया जहां वे ही खिलाड़ी होते है और वे ही रैफरी, उन्हीं का मैदान होता है और विपक्षी खिलाड़ी की स्टिक और बॉल को वे ही नियंत्रित करते है।
सबसे पहले 10 फ़ीसदी सामान्य आरक्षण की गुगली फेंक कर एससी एसटी एक्ट के कारण नाराज हुए जनरल को मनाने की ऐसे शानदार कोशिश की कि विपक्ष के ना उगलते बना ना निगलते ।
दूसरी ओर राम जन्मभूमि का मुद्दा साधु संतों के माध्यम से उठाने की कोशिश कर रही कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर घेर लिया जिसमें गैर विवादित अधिकृत भूमि को श्री राम जन्म भूमि न्यास को समर्पित करने का सरकार ने आग्रह किया है ,अब कांग्रेस विरोध करती है या समर्थन करती है यह उसके रणनीतिकार अभी तक समझ नहीं पाए ।
वहीं प्रियंका के राजनीति में आ जाने के कारण उत्तर प्रदेश जो कि सर्वाधिक लोकसभा सीटें देता है त्रिकोणीय लड़ाई में चला गया है और भारतीय जनता पार्टी उस त्रिकोणीय संघर्ष को जीतने का हर संभव प्रयास करेगी।
समझा जाता है कि अमित शाह और सुनील बंसल की जोड़ी 2014 की तर्ज पर अब फिर उत्तर प्रदेश को संभालेगी ।
कहने को तो उत्तर प्रदेश के प्रभारी और सह प्रभारियों की लंबी चौड़ी सूची होगी पर लगता यही है की शाह- बंसल की जोड़ी 80 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से दांव खेलेगी। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के साथ ही दक्षिणी राज्यों में जहां वे उत्तर भारत में हुई अपनी सीटों की कमी की भरपाई करेगी और बढ़त बनाने की कोशिश करेगी वहां संपर्क फ़ॉर भाजपा अभियान में संपर्क किए गए बड़े नामों को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है ।
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अजमाये अपने पुराने बसपा माईनस फार्मूले को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ
आजमाएगी,हाल ही में तृणमूल के दो सांसद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता जॉइन कर चुके हैं।
केरल में अभी तक अपनी उपस्थिति के लिए तरस रही भारतीय जनता पार्टी को सबरीमाला जैसा अवसर मिला है जिसे भारतीय जनता पार्टी अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहेगी ।कांग्रेस उत्तर प्रदेश में प्रियंका के नाम पर युवा और तरोताजा चेहरे के साथ मैदान में उतरेगी पर उसके पास संगठन का आधार नहीं है ,वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस में नेताओं के आपसी टकराव के कारण बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अनदेखी,राजस्थान में सचिन पायलट को दूसरे पायदान पर खड़ा करने और कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रहे रामेश्वर डूडी की हार में बड़े हाथ होने की चल रही जन चर्चा के साथ ही छत्तीसगढ़ में सत्ता से दूर रहे नेताओं के जमावड़े अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं ।इतना जरूर है कि कांग्रेस ने अलवर के रामगढ़ ( राजस्थान) की सीट जीतकर 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 99 के फैर से निकलकर 100 सीटों का आंकड़ा छू लिया है ।
आज भारतीय जनता पार्टी ने अपने मध्यम वर्ग के मूल वोटों को इनकम टैक्स के ढाई लाख की सीमा को डबल करते हुए 500000 करने की घोषणा कर उनके जख्मों पर मरहम लगाया है। किसानों को पिछले साल के दिसंबर महीने से ₹500 प्रति माह देने का निर्णय कर देश के करोड़ों किसानों को अपनी और जोड़ने का प्रयास किया है ।मजदूरों की पेंशन हो या आधारभूत ढांचे में निवेश के प्रयास सब कुछ अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री मोदी की उस कार्यशैली को इंगित करता है जिसमें वह अब तक गुजरात में अपनाते रहे है।
4 साल पूरे कठोर प्रशासक रहते हैं और अंतिम वर्ष जन हितेषी निर्णय लेते हैं वहीं इस बार केंद्रीय बजट में झलक है,नोटबंदी जीएसटी जैसे कड़े फैसले लेने वाले नेता के बाद लोक कल्याणकारी बजट बनाने वाली सरकार के मुखिया के रूप में उन्होंने आज अपने मतदाताओं का विश्वास जीता है ।
विपक्षी पार्टियों को नए सिरे से अपनी राजनीति के औज़ारों को धार लगानी होगी क्योंकि अब तक लगाई गई धार को मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण,राम जन्मभूमि न्यास को जमीन और बजट में बड़ी घोषणाएं कर भोंथरा कर दिया है।
।।शिव।।
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