26 जनवरी को मनाया गणतंत्र दिवस,26 फरवरी बनी रणतंत्र दिवस, मोदी का मंगल 'वार',आंतक की जड़ पर प्रहार।
आज पूरी दुनियां ने पिछले पांच सालों में फिर दूसरी बार बदले हुए हिंदुस्थान को देखा।
वो हिंदुस्थान जो गुहार नहीं लगाता, हुंकार भरता है,प्रहार करता है और वो भी कह कर करता है।

14 फरवरी को जब देश दुःखी हुआ,अपने 40 वीरों की शहादत देखकर तो प्रधानमंत्री मोदी भी 130 करोड़ भारतीयों की आंखों के आंसू,पीड़ा,वेदना को महसूस कर रहे थे,यही कारण है कि बहादुर सैनिकों की पार्थिव देह की परिक्रमा करते हुए उनके मन में पराक्रम का जुनून सवार था।
मैंने तब लिखा था ये चुनोती किसी 56 इंच वाले मोदी को नहीं ना ही राहुल गांधी को वेंलेन्टाइन डे का प्यार भरा पैगाम है,यह चुनोती है 130 करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान को,आत्मसम्मान को,शौर्य को।
पर पिछले 12 दिनों में मोदी सरकार के सधे कदमों पर राजनीतिक दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए,सर्वदलीय बैठक तक में सरकार को समर्थन के प्रस्ताव पर एक राय नहीं बनी।
ये परीक्षा थी,मोदी के सरदार पटेल वाली छवि की,ये परीक्षा थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के राष्ट्रवाद की,यह परीक्षा थी देश के 130 करोड़ भारतीयों के सम्मान की,देश की सेना के सामर्थ्य की।
मोदी सरकार ने 12 दिनों में क्या किया इसे मंगलवार की अल सुबह कार्यवाही करके बता दिया ये मुम्बई,जयपुर, वाराणसी जैसे हमले सहने वाला हिंदुस्थान नहीं है।
आज़ादी के बाद पहली बार देश के चेहरे को आक्रामकता से तेजस्वी होते हुए दुनियां ने देखा और मोदी की वो बात सही साबित हो गयी जो उन्होंने पुलवामा हमले पर कहा था "बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी,हिसाब होगा,और पूरा हिसाब होगा"
टोंक की रैली को संबोधित करते हुए फिर हुंकार भरी थी प्रधानमंत्री ने आतंक की फैक्ट्री पर मुझे ही ताला लगाना है तो यह भी सही....पर यह उस समय कौन सोच सकता है कि केशव-माधव की शाखा से निकला ये स्वयंसेवक वो करेगा जो देश को स्वयंसिद्ध समर्थ राष्ट्र के रूप में खड़ा कर देगा।
आइये, भारत पर हुए हमलों को याद करें
 1947-48 भारत पर कबाइलियों के रूप में पाकिस्तान की घुसपैठ, नेहरू पहुंच गए संयुक्त राष्ट्र संघ,और पाकिस्तान हमारे जम्मू कश्मीर के वर्तमान स्वरूप से तीन गुणा ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर बैठा.....1962  नेहरूजी के पंचशील के मुगालते में हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे भारत लगाता रहा,ड्रेगन घुस आया भारत के अंदर, तिब्बत,अक्साई चीन पर जमा लिया कब्जा पर नेहरूजी चले गये संयुक्त राष्ट्र संघ....
1965 फिर भारत पर पाक का हमला,ताशकंद में हुआ समझौता और देश ने खो दिया लाल बहादुर शास्त्री सा लाल....नई सरकार ने नहीं करवाई कभी जांच जबकि उनकी पत्नी ने की थी जांच की मांग....
1972 बांग्लादेश की मुक्ति सेना के साथ भारत खड़ा हुआ,90000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्म समर्पण,सबको वापस हथियार सहित लौटाया और हमारे 30 जवान जो युद्ध बंदी बनाये थे पाकिस्तान ने उन्हें नहीं छुड़ा पाया भारत।
कारगिल में घुसपैठ, सैकड़ों जवानों की शहादत के बाद घुसपैठियों को बाहर खदेड़ा,पहली बार हमने एक इंच जमीन नहीं खोई।
2004 से 2014 तक हमले,धमाके गूंजते रहे,एक बार तो लगा कुछ आरपार होगा,पर वही हुआ हर बार वाला।
जुबानी जमा  खर्च.....
2014 में मोदी की बनी नई सरकार,नेता की दबंग छवि,कठोर निर्णय लेने की क्षमता और बहुमत वाली सत्ता को देखते हुए आतंकी और उनका आका पाकिस्तान नापते तोलते रहे,उसी नापतौल में उरी में हमला करने की गलती कर दी और सेना ने कर दिया सर्जिकल स्ट्राइक।
यह था बदला हुआ हिंदुस्थान,पहली बार एक छोटा -सा ऑपरेशन ।
तीन राज्यों में भाजपा की हार से सदमे में आये भाजपा नेतृत्व को कमजोर समझने की भूल 14 फरवरी को कर बैठा पाकिस्तान....
मोदी ने तत्काल कहा,बड़ी गलती कर दी,हम छेड़ते नहीं,कोई हमें छेड़ेगा तो छोड़ेंगे नहीं,अब हिन्दुस्थान बदल गया है ना पुलवामा को भूलेंगे,ना भूलने देंगे,दर्द हुआ है,हिसाब पूरा करेंगे।
1947 में स्वयं बने प्रधानमंत्री (1952 में निर्वाचित हुए थे) पंडित नेहरू की तरह वर्तमान प्रधानमंत्री ना तो विश्व की कुटिल राजनीति पर विश्वास करते है ना ही भाई-भाई जैसे नारों पर भरोसा करते है।
ना वे लाल बहादुर शास्त्री की तरह कुटिल चाल का शिकार होते है ना इंदिरा गांधी की तरह बातों में आते है।
ना अटलजी की तरह भावुक और कवि हृदय है,नया प्रधानमंत्री नेहरू की तरह विश्व नेता,शास्त्री की तरह ईमानदार,इंदिरा की तरह कठोर,और वाजपेयी की तरह राष्ट्रवादी है।
 यानी आल इन वन....स्वयमेव मृगेन्द्रता.... पर भरोसा रखने वाला,अटल,बहादुर,लाल,इंद्र....
समझ सके तो समझे।
पाकिस्तान तो समझ गया,पर अभी भी कुछ लोग है जो आज के इस दिन जब पूरा देश जश्न मना रहा है कुछ जर खरीद गुलामों के मुँह लटके हुए है,सेना और सरकार के लिए एक शब्द नहीं बोल पा रहे है,जिन्हें रोजाना असहिष्णुता की उल्टियां होती है...
नए भारत के लिए पूरी दुनियां पलक पावड़े बिछाकर खड़ी है,बस ये कदम अब रुके नहीं,गति टूटे नहीं... वैसे आज प्रधानमंत्री मोदी ने आज फिर कहा है...देश नहीं रुकने दूंगा,शीश नहीं झुकने दूंगा।
।।शिव।।

Comments

Shiv Sharma said…
कब क्या कैसे करना है
हर नब्ज पहचानता है
ये नया भारत है
जवाब देना जानता है

जय हिंद

Popular posts from this blog

नवरात्र विचार 1

अब भारत नहीं बनेगा घुसपैठियों की धर्मशाला

भारत को इंडिया कहने की विवशता क्यों ?