बहुत हुआ,ज्ञान सेना को,सरकार को...यह करिये,ऐसे करिये,ये मत करिये.... बहुत बड़े ज्ञानी बनते है घरवाली के कहने पर आटा चक्की तक पीसना ले जाने में दांत पीसने वाले सेना को मिसाइल कहाँ गिराये जैसे सुझाव देते नजर आते है।
दुनियां की सबसे अनुशासित और आत्मविश्वास से लबरेज सेना को क्या करना और क्या नहीं करना कहकर धर्म मत बताइए....इतने बड़े मत बनिये।
अपनी शक्ल टीवी और सोशल मीडिया पर दिखाने की ललक में अक्ल भी लगा लीजिए।
14 फरवरी को सड़क पर,मॉल में,कॉलेज में,ऑफिस में या घर पर सकून से अपनी प्रेयसी को गुलाब चोरी चोरी,या खुलेआम देकर पहले अपना मोहब्बत का धर्म निभाने वाले अब ज्ञान बांट रहे है....बहुत बुरा लगता है जब आपको कोई रास्ते पर कचरा फेंकते टोकता है और आज अपने अदम्य साहस से दुश्मन को छद्म रूप लेने को मजबूर करने वाली सेना को सलाह दे रहे हो,सोचो?
100 घण्टे में पुलवामा के गुनाहगारों को 72 हूरों के पास भेजने वाली बहादुर सेना और अर्धसैनिक बलों का अभिनंदन करिये,यह काम उन्होंने उन परिस्थितियों में किया है जब स्थानीय लोग पत्थरबाज के रूप में आतंकियों के साथ थे।
बस में,ट्रैन में सैनिकों को गैलरी में खड़े रहने पर भी कोई सम्मान ना देने वाले आज उनको बता रहे है कि उन्हें कहाँ खड़ा होना चाहिए।
राजनैतिक पार्टियों की पूंछ पकड़ कर राशनकार्ड तो बनवा सकते हो पर चैन की नींद उसी सेना के कारण सोते हो जिसे आज ज्ञान दे रहे हो...
सरकार किसकी है,कौन प्रधानमंत्री है यह बात आज मायने नहीं रखती,मायने रखता है राष्ट्र का स्वाभिमान।
पर जानते हो इसी स्वाभिमान की बोली लगाने के लिए लोग खड़े है,हमारी आस्तीन में ही पल रहे है।
ऐसा क्या कारण था कि सर्व दलीय बैठक में केंद्र सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के प्रस्ताव पर टीएमसी, कांग्रेस,सपा,नेकां में ऐका हो जाता है और प्रस्ताव में से वो लाइन हटानी पड़ती है...सोचना जरा...
अटलजी याद है...?जब जब अवसर आया सीना तान कर खड़े हो गए सत्ता के साथ,देश की साख बचाने और पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जबाब देने के लिए जब नरसिम्हा राव ने यूएन जाने का अटलजी से आग्रह किया तो उन्होंने नहीं कहा आपकी सरकार है...वे गये और पूरी दुनियां को संदेश दे आये,भारत एक है। पर अब....
मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान से सहायता मांगने जाते है मोदी से लड़ने के लिए....सिद्दू पाकिस्तानी जनरल से गलबहियां डालते है...इमरान खान जब सिद्दू को भारत के वजीर ए आजम बनाने की इच्छा जताता है तो पाकिस्तानी सभा भवन में अकेले ताली पीटने वाला सिद्दू वही राग अलापता है जो इमरान बोलता है....जितनी चाबी भरी राम ने,उतना चले खिलौना...की तर्ज पर।
कुछ खबरनवीस उस कायराना हमले की निंदा से बच निकलने के लिए चुप्पी साध लेते है.....,देश के एक शहर में गौ हत्या कर गौ मांस खाने वाले की पिटाई से अपने आपको खतरे में देखने वाले गहरी नींद में सो जाते है.....,एक आतंकी की फांसी रुकवाने के लिए आधी रात कोर्ट खुलवाने वाले अपने दरवाजे पर कुंडी चढ़ा लेते है...,सेना पर पत्थर फेंकने वालों पर पैनेल्ट गन के इस्तेमाल पर कोर्ट में अपील वाले चादर ओढ़कर सो जाते है...सोचिए ऐसा क्यों?
शिक्षा और रोजगार के अभाव में आतंकी बनने वाले तर्क रखने वाले नमूनों के लिए राजस्थान की दो घटनाएं आंखे खोलने वाली है,एक राजकीय विद्यालय का प्रधानाचार्य सेनिकों की शहादत पर अपमानजनक टिप्पणी करता है तो दूसरी घटना में एक निजी चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं का जश्न मनाना....
सेना को सलाह मत दीजिये,अपने आस पास की घटनाओं पर नज़र रखिये नहीं तो हमारे आसपास ही कश्मीर जैसे हालात पैदा करने के चल रहे षड्यंत्र लील जाएंगे हमारा चैन,अमन,विकास...
कश्मीरी पंडितों ने भी की थी कभी अनदेखी... 30 सालों से शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर है,अपने ही देश में।
सावधान!देश रहेगा तो सरकारें बनेगी,आपकी राजनैतिक दुकानें रहेंगी,नहीं तो .....
।।शिव।।
दुनियां की सबसे अनुशासित और आत्मविश्वास से लबरेज सेना को क्या करना और क्या नहीं करना कहकर धर्म मत बताइए....इतने बड़े मत बनिये।
अपनी शक्ल टीवी और सोशल मीडिया पर दिखाने की ललक में अक्ल भी लगा लीजिए।
14 फरवरी को सड़क पर,मॉल में,कॉलेज में,ऑफिस में या घर पर सकून से अपनी प्रेयसी को गुलाब चोरी चोरी,या खुलेआम देकर पहले अपना मोहब्बत का धर्म निभाने वाले अब ज्ञान बांट रहे है....बहुत बुरा लगता है जब आपको कोई रास्ते पर कचरा फेंकते टोकता है और आज अपने अदम्य साहस से दुश्मन को छद्म रूप लेने को मजबूर करने वाली सेना को सलाह दे रहे हो,सोचो?
100 घण्टे में पुलवामा के गुनाहगारों को 72 हूरों के पास भेजने वाली बहादुर सेना और अर्धसैनिक बलों का अभिनंदन करिये,यह काम उन्होंने उन परिस्थितियों में किया है जब स्थानीय लोग पत्थरबाज के रूप में आतंकियों के साथ थे।
बस में,ट्रैन में सैनिकों को गैलरी में खड़े रहने पर भी कोई सम्मान ना देने वाले आज उनको बता रहे है कि उन्हें कहाँ खड़ा होना चाहिए।
राजनैतिक पार्टियों की पूंछ पकड़ कर राशनकार्ड तो बनवा सकते हो पर चैन की नींद उसी सेना के कारण सोते हो जिसे आज ज्ञान दे रहे हो...
सरकार किसकी है,कौन प्रधानमंत्री है यह बात आज मायने नहीं रखती,मायने रखता है राष्ट्र का स्वाभिमान।
पर जानते हो इसी स्वाभिमान की बोली लगाने के लिए लोग खड़े है,हमारी आस्तीन में ही पल रहे है।
ऐसा क्या कारण था कि सर्व दलीय बैठक में केंद्र सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के प्रस्ताव पर टीएमसी, कांग्रेस,सपा,नेकां में ऐका हो जाता है और प्रस्ताव में से वो लाइन हटानी पड़ती है...सोचना जरा...
अटलजी याद है...?जब जब अवसर आया सीना तान कर खड़े हो गए सत्ता के साथ,देश की साख बचाने और पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जबाब देने के लिए जब नरसिम्हा राव ने यूएन जाने का अटलजी से आग्रह किया तो उन्होंने नहीं कहा आपकी सरकार है...वे गये और पूरी दुनियां को संदेश दे आये,भारत एक है। पर अब....
मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान से सहायता मांगने जाते है मोदी से लड़ने के लिए....सिद्दू पाकिस्तानी जनरल से गलबहियां डालते है...इमरान खान जब सिद्दू को भारत के वजीर ए आजम बनाने की इच्छा जताता है तो पाकिस्तानी सभा भवन में अकेले ताली पीटने वाला सिद्दू वही राग अलापता है जो इमरान बोलता है....जितनी चाबी भरी राम ने,उतना चले खिलौना...की तर्ज पर।
कुछ खबरनवीस उस कायराना हमले की निंदा से बच निकलने के लिए चुप्पी साध लेते है.....,देश के एक शहर में गौ हत्या कर गौ मांस खाने वाले की पिटाई से अपने आपको खतरे में देखने वाले गहरी नींद में सो जाते है.....,एक आतंकी की फांसी रुकवाने के लिए आधी रात कोर्ट खुलवाने वाले अपने दरवाजे पर कुंडी चढ़ा लेते है...,सेना पर पत्थर फेंकने वालों पर पैनेल्ट गन के इस्तेमाल पर कोर्ट में अपील वाले चादर ओढ़कर सो जाते है...सोचिए ऐसा क्यों?
शिक्षा और रोजगार के अभाव में आतंकी बनने वाले तर्क रखने वाले नमूनों के लिए राजस्थान की दो घटनाएं आंखे खोलने वाली है,एक राजकीय विद्यालय का प्रधानाचार्य सेनिकों की शहादत पर अपमानजनक टिप्पणी करता है तो दूसरी घटना में एक निजी चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं का जश्न मनाना....
सेना को सलाह मत दीजिये,अपने आस पास की घटनाओं पर नज़र रखिये नहीं तो हमारे आसपास ही कश्मीर जैसे हालात पैदा करने के चल रहे षड्यंत्र लील जाएंगे हमारा चैन,अमन,विकास...
कश्मीरी पंडितों ने भी की थी कभी अनदेखी... 30 सालों से शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर है,अपने ही देश में।
सावधान!देश रहेगा तो सरकारें बनेगी,आपकी राजनैतिक दुकानें रहेंगी,नहीं तो .....
।।शिव।।
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