मोदी का कमल संघ के दण्ड से ऐसे जुड़ा है मानों वो कमल नाल हो,यही कारण है कि कभी संघ को पूरा खत्म करने की सोचने वाले अब उसके एक स्वयंसेवक से ही डरने लगे...
लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजनैतिक दलों में मच गई उथल-पुथल.... कांग्रेस अपने युवराज की उस छाया से निकलने की झटपटाहत में राजकुमारी को ले आई,तो बहिनजी गेस्ट हाउस कांड को भूल मुलायम सिंह के चुनाव प्रचार को राजी हो गयी....
दिल्ली वाले सरजी सब मिले हुए है वाले जुमले से निकल मुझे भी मिला लो वाली राग में आ गए....
महाराष्ट्र वाले ठाकरे बंधुओं में से छोटे नवनिर्माण वाले इस चुनाव में तौबा कर चुके तो बड़े वाले पानी पी पीकर चार साल कोसते रहे पर अब नमो के साथ हो लिए...

इधर कमल वाली पार्टी के शाह अपने ऑपरेशन में लग गये...थोड़ा सा कोई पार्टी वाला बेचैन हुआ नहीं कि दरवाजा खटखटाया गया,किसी को सोते से जगाया गया अकेले उत्तर प्रदेश से ही सपा,बसपा,कांग्रेस के दो दर्जन से बड़े नेता कमलनाल से जुड़ गए तो बंगाल में दो पत्ती वाली ममता बनर्जी की तृणमूल को खोद खोदकर निकाल बाहर करने की कवायद में एक दर्जन सिपहसालार नमो की माला जाप करने लगे है.....
यही हाल उड़ीसा के है जहां नवीन की पुरानी सरकार की विदाई के लिए उसके अपने भी भाजपा का दामन थाम चुके....
भाजपा का पूरा फोकस बसपा,टीएमसी और बीजेडी के उन असंतुष्ट, दरकिनार किये नेताओं पर जो कमल को खिलाने में मददगार होंगे....चुनाव की घोषणा के साथ ही तीन दर्जन से अधिक बड़े नेताओं का पाला बदलना उसकी चुनावी रणनीति का ही हिस्सा है....सूत्र बताते है जैसे जैसे चुनावी फ़िजां में रंग जमेगा वैसे वैसे विपक्षी दलों को झटके देने की रणनीति आगे बढ़ेगी....
भाजपा कुछ बड़े नामों को भी भाजपाई रंग में रंगने की योजना बना चुकी है,जिसमें कई नामचीन बॉलीवुड अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ ही खेल,सेना जगत की हस्तियां शामिल है।
उत्तर प्रदेश जहाँ कांग्रेस को गठबंधन ने दो सीटें देकर अहसान जताया था वहीं कांग्रेस ने सात सीट गठबंधन के लिए छोड़ अहसान का चुकारा किया है तो जनेऊधारी अध्यक्ष के बाद बतौर महासचिव प्रियंका ने माँ गंगा की शरण ली है....यह अलग बात है कि मोदी सरकार के विकास पर सवाल उठा रही कांग्रेस इस यात्रा का एक बड़ा हिस्सा क़ुरज की यात्रा से पूरा करेगी....

प्रियंका का अवतरण राहुल को नेपथ्य में धकेलता जा रहा है...कांग्रेस वर्किंग कमेटी में राहुल के भाषण से ज्यादा प्रियंका के भाषण की ज्यादा चर्चा हुई....
कांग्रेस वार रूम में काम करने वाले नेता ने बताया कि 19 हमारी रिहर्सल है 24 की तैयारी शुरू कर दी है यही कारण है कि यूपी जैसे बड़े राज्य पर कांग्रेस ने एकला चलो की रणनीति बनाई है,ताकि कम से कम दौड़ में रहा जा सके और अपने कैडर,वोटर की संभाल कर सके...
कमल वाली पार्टी ने तैयारी पहले ही शुरू कर दी थी,इसी का परिणाम है कि कमल दीवाली से लेकर कमल होली तक का कलेंडर बना हुआ है....

राजनैतिक पंडित कुछ भी कयास लगाए पर लोग यह मानते है कि भाजपा के पास मोदी जैसा नेता,भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता कैडर, आरएसएस का मजबूत तंत्र और रणनीतिक कौशल के सामने सारे दल बोने है.....तभी महागठबंधन के प्रयास गठबंधन तक ही नहीं पहुंच पाये और हर दल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है तभी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते है,इस बार मोदी जीते तो अगले 50 साल चुनाव ही नहीं होंगे..
कुछ भी हो पर मोदी का ख़ौप राजनीतिक दलों पर सर चढ़कर बोल रहा है...
।।शिव।।

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