देश चुनावी मोड़ में है पर मोदी सरकार पूरी मूड में है,एक ओर विपक्षियों के गठबंधन है,अपनों के अंदरखाने बगावती सुर तो मोदी भी अपनी टीम के साथ राजनैतिक सक्रियता के साथ साथ सरकार के कामकाज पर असर ना पड़े इसलिए पूरे मूड में है....

आज पहले चरण के नामांकन का  अंतिम दिन था,यानी देश होली के  रंगों से बाहर निकल चुनावी रंग से  रंगना शुरू हो गया,पर सरकार के कामकाज पर आपको कोई असर नहीं दिख रहा.....
पाकिस्तान में दो हिन्दू नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का दखल इतना प्रभावी था कि पाक प्रधानमंत्री को भी एक्शन मोड़ में आना पड़ा।


दूसरी ओर सेना तोप ले जाने वाले हेलीकॉप्टर चिनूक से ताकतवर बनी तो भारत में बनी तोपे  जो बोफर्स भी ताकतवर मानी जाती है,जिसे धनुष नाम दिया गया है वे भी सेना के जखीरे में शामिल कर दी गयी.....
नीरव मोदी की गिफ्तारी के बाद एक ओर भगोड़े  हितेश पटेल को धर दबोचा...यानी कोताही कहीं नहीं....
इसके साथ ही मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंक पर नकेल कसने के लिए पुरजोर कोशिश करती हुई दिखाई दे रही है। यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ को बैन करने के बाद अब सरकार ने कश्मीर में टेरर फंडिंग को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। दरअसल, मोदी सरकार ने कश्मीर के हुर्रियत नेताओं की संपत्ति जब्त करने का फैसला लिया है।

सरकार हुर्रितय नेताओं की उन सभी संपत्तियों को जब्त करेगी जो लश्कर-ए-तैयबा के आका हाफिज सईद के पैसे से बनाई गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक टेरर फंडिंग मामले में शामिल हुर्रियत के 11 नेता सरकार के निशाने पर बने हैं। बताया जा रहा है कि इन सभी 11 नेताओं पर टेरर फंडिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाने के संगीन आऱोप हैं।
ज़ी मीडिया की जानकारी के मुताबिक इन नेताओं की सूची में कश्मीर हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद का नाम भी शामिल है।

जिन नेताओं की संपत्ति जब्त होगी उनमें सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूश, नईम अहमद खान, फ़ारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शहीदुल इस्लाम, पाक में मौजूद हिज्बुल चीफ सैय्यद सलाउद्दीन, अकबर खंडी, राजा मेहराजुद्दीन, पीर सैफुल्ला, ज़हूर अहमद वताली सहित 11 अलगाववादियों की संपत्ति जब्त होगी। इस मामले में शामिल सभी हुर्रियत नेताओं की प्रॉपर्टी अब जब्त की जाएगी। आईएसआई और पाकिस्तान हाई कमीशन दिल्ली के अधिकारियों के जरिए दुबई से हवाला फंडिंग के माध्यम से आतंक की फंडिंग की गई।

मोदी सरकार कश्मीरी हुर्रियत नेताओं के खिलाफ इस तरीके का सख्त  कदम उठा चुकी है,हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक से पहले पूछताछ भी कर चुकी है। खबर है कि सरकार अब कश्मीर में पनपते आतंक को लेकर और भी कड़ा रुख अपना सकती है। कश्मीर में बढ़ते आतंक को लेकर सरकार ने साफ कर दिया है कि घाटी में आतंक को सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।

इस बार देश में आम चुनाव का 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है । हर पार्टी अपने प्रत्याशियों की लिस्ट पर माथापच्ची करने में लगी है । चुनाव आयोग चुपचाप अपने काम में लगा है । 
वहीं गृहमंत्रालय 'सुपर' मुस्तैद है,सेना बॉर्डर पर आग उगल रही है ....अलगाववादियों के संगठनों पर प्रतिबंध लग रहे है । उनकी प्रॉपर्टी जब्त हो रही है... नक्सलियों - अर्बन नक्सलियों पर शिकंजा कसा हुआ है ...आतंकियों के स्लीपर सेल पकड़े जा रहे है । 
देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पिछले पंद्रह साल की सबसे बेहतर स्थिति में है .. इसका ही परिणाम है कि आम चुनावों के बीच भी  IPL (इंडियन प्रीमियर लीग) अपने पहले से तयशुदा वक्त पर भारत में ही शुरू हो गया,जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई,उसी समय इंडियन प्रीमियर लीग शुरू होने वाली थी तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से बीसीसीआई को कहा गया मैच रद्द कर दीजिये क्योंकि देश में चुनाव है और सारी फोर्स चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। जिसके कारण  सरकार IPL के मैचों , स्टेडियम और खिलाड़ियों को सुरक्षा नही दे सकती । अगर कुछ गड़बड़ होती है तो उसके लिये सरकार जिम्मेदार नही होगी इसलिए या तो इसे अभी रद्द कर दीजिये या देश के बाहर आयोजित कीजिये।
आखिर बीसीसीआई आईपीएल यूएई में ले जाने को मजबूर हुईं क्योंकि देश की सरकार के हाथ-पैर फूले हुए थे चुनाव के नाम पर । 2009 का आईपीएल भी देश में आमचुनाव होने की वजह से दक्षिण अफ्रीका में हुआ था ।  2009 और 2014 में देश में कोंग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी नियंत्रित मनमोहन सरकार थी।

पाँच साल पहले ऐसी थी देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति,पर 2014 के ठीक उलट इस बार बीसीसीआई को पूछना भी नही पड़ा कि चुनाव है तो टूर्नामेंट यहीं करवा लें या बाहर जाये और ना ही गृह मंत्रालय को इसको लेकर कोई चिंता हुईं ।

विपक्षी दल भले ही मोदी के कदमों को चुनावों के मद्देनजर स्टंट करार देकर नकारने की कोशिश करें,प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते चुनावों में जिस आत्मविश्वास से लबरेज रहते थे अगली सरकार को संभालने के लिए उसी आत्मविश्वास की झलक प्रधानमंत्री के रूप में भी  दिखाई दे रही है....
 यह आत्मविश्वास है या आत्म विश्वास का अतिरेक....जो भी हो पर यह उस देश के लिए शुभ संकेत है जहाँ चुनाव के नाम पर  हर साल  तीन महीने काम बंद हो जाता है......
।।शिव।।

Comments

Sangeeta tak said…
शानदार लिन
👍
Hansdhwani said…
Bahut khoob.... Aapke Soch AUR lekhni Ka koi saani Nahin 👏👏👏👏👏👏

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