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Showing posts from September, 2019

नवरात्र विचार.... शक्ति का आराधक देश क्यों होता रहा आहत

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नवरात्रि विचार १ शक्ति की उपासना क्यों ? हमारे पुरखों ने शक्ति पूजा का विशेष विधान किया है । वर्ष में दो नवरात्रि चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्रा भी होते हैं ।मेरा मानना है कि उस समय की काल परिस्थितियों के अनुसार भी और आज भी शक्ति की पूजा, शक्ति की उपासना जरूरी है । स्वयं के आत्म सम्मान,अपनी परंपरा, संस्कार,संस्कृति की रक्षा और राष्ट्रीय अस्मिता के लिए। मेरा मानना है कि हमारे पूर्वजों ने इसी हेतु से शक्ति उपासना का विधान किया कि हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य की विवेचना और आत्मा अवलोकन कर सकें। शक्ति सामर्थ्य के लिए ऐसे पर्वों की रचना की होगी जब समाज अपने सामर्थ्य का, अपनी शक्ति का व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से चिंतन करता होगा, आत्मावलोकन करता होगा और उसके पश्चात शक्ति अर्जित करने के लिए गुप्त नवरात्रों के दौरान अपने सामर्थ्य को बढ़ाने का प्रयास करता होगा।  मुझे नहीं लगता कि आज की तरह केवल डांडिया नृत्य या डीजे पर डांस करके शक्ति की आराधना का कोई पर्व मनाया जाता होगा। अब तो व्यवसाय के नाम पर हमारे शक्ति की आराधना पर्व किस स्तर पर आ गया,इसकी एक बानगी न...

श्राद्ध के बहाने, जड़ों की ओर लौटे....

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16 दिन तक चला श्रद्धा और परंपरा के विश्वास से गूंथा अपने पूर्वजों को ऋणी भाव से याद करने का पर्व आज पूर्ण हुआ। पुरातन के प्रति श्रद्धा,पूर्वजों के प्रति ऋण का भाव,भावी पीढ़ी को भूत से जोड़ने का वर्तमान का स्तुत्य प्रयास का दूसरा नाम है श्राद्ध पक्ष। एक एक दिन मनाने की जद्दोजहद में जुटी विश्व बिरादरी के लिए यह कौतूहल का विषय हो सकता है, क्योंकि उनके लिए जिंदा माँ-बाप का मूल्य उनकी उपयोगिता से जोड़ा जाता है,वहां व्यक्ति की चिंता हुई,समष्टि की नहीं... वहां व्यक्ति के जीवन मूल्यों से बड़ा जीडीपी हो गयी,व्यक्ति का जीडीपी में क्या योगदान है,इससे गणना ने व्यक्ति को व्यक्ति से दूर किया....वे दुःखी है,अशांत है....वे भारत की परंपराओं को समझकर जुड़ना चाहते हों.... और हमें देखो...आजकल परम्परा को गाली देने की फैशन में लगा है....यह चोंचले लगने लगे,क्योंकि वर्तमान पीढ़ी ने इसे इसी रूप में परिचय करवाया,नई पीढ़ी यदि आपकी परम्पराओं को दरकिनार कर रही है,तो वर्तमान अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता.... वर्तमान ने इसे पंडितजी को भोजन तक सीमित किया और कुछ पंडितजी ने इसे दान दक्षिणा तक.... यह पर्व पंडितजी...

आसान नहीं है सुनीलजी होना....

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जन्मदिन अभिनंदन सुनीलजी भाईसाहब... आसान नहीं है सुनील जी होना जनसंख्या की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के संगठनकर्ता होना अपने-आप में जितना गौरवशाली है उतना ही काटो भरा ताज है ... पर ताज है कहां ...? ना सत्ता का वह सिंहासन जिस पर बैठकर स्वयं कोई निर्णय कर सकें। फिर भी कार्यकर्ताओं के विश्वास और जनता की अपेक्षा के अनुसार राज काज चले.... दीनदयाल जी का  वह सपना जिसमें अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक स्वतंत्रता का लाभ पहुंचाने का आग्रह करते थे और जिसे आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ...सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास..से उसे जोड़ कर देश को एक नई गति दे रहे हैं उसे उस उत्तर प्रदेश में क्रियान्वित किए जाने की जरूरत है जिसे जातिवादी मानसिकता वाले राजनेताओं ने जकड़न में ले रखा हो। उस जकड़न से प्रदेश को बाहर लाना, कार्यकर्ताओं में उत्साह भरनाऔर उत्साह को लगातार बनाए रखते हुए जनविश्वास को अर्जित करने का महत्ती कार्य संगठन की जिम्मेदारी होती है। इस जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं अपने सुनील जी।  त...

हिंदी,पहचान है....हिंदी दिवस पर सभी हिंदी भाषियों को शुभकामनाएं

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हिंदी है, हमारी पहचान...  हम यह जानकर आश्चर्य कर सकते है कि  हिन्दी शब्द खुद फारसी शब्द ‘हिन्द’ से लिया गया है.  हिन्द शब्द का आशय ‘सिंधु नदी की जमीन’ से है। 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाते हैं क्योंकि सन 1949 में आज ही के दिन भारतीय संविधान ने हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्ज़ा दिया था। पर प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था इसी लिए इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता।  पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था,और आज भी विभिन्न भारतीय दूतावास विश्व में भाषा प्रसार के कार्यक्रम करते है।        ये तो हम सब जानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा बोली और समझे जाने वाली भाषा हिन्दी है लेकिन विश्व में भी मंदारिन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है. हिन्दी भारत के अलावा फिजी,सूरीनाम,मॉरिशस,गुया...

शिक्षक दिवस....ऋणी है आपके

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सरकारी आयोजन था पर भाषण देने वाले बड़े निजी शिक्षण संस्थान के निदेशक थे,क्योंकि उस आयोजन के लिए जुटाई गई धन राशि उन निदेशक महोदय के द्वारा दी गयी थी,उनके पास में ही तीन बड़े विद्यालय चलते है। आयोजन भी क्योंकि राज्य के शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ था इसलिए प्रदेश भर के शिक्षकों की बड़ी संख्या कार्यक्रम में थी । मंत्री जी की उपस्थिति में अपने प्रभावशाली अंग्रेजीदा भाषण में निजी शिक्षण संस्थान के निदेशक ने अपने शैक्षिक संस्थान की उपलब्धियों और अपने प्रयासों पर जोरदार भाषण दिया और इशारों इशारों में सरकारी शिक्षकों पर सवाल उठा दिए स्कूलों के हालात, गंदगी,अव्यवस्था,परिणाम, विद्यार्थियों की संख्या इन सब विषयों को लेकर उन्होंने कड़े प्रहार किए और मंत्री जी मंद मंद मुस्कुरा कर सामने बैठे शिक्षकों की ओर ही देख रहे थे । भाषण समाप्त हुआ तो वहां बैठे लोगों ने मंत्री जी को ताली बजाते देखकर तालियां बजानी शुरू कर दी । एक शिक्षिका ने उठकर सवाल पूछा सर! क्या आप बता पाएंगे कि आपके विद्यालय में कक्षा 9 में में प्रवेश लेने वाला विद्यार्थी आठवीं कक्षा में 35 परसेंट नंबर लेकर आए तो आप प्रवे...