रिश्तों को सहजिये...…नवरात्र विचार 3

नवरात्र विचार -३
टूट रहे है परिवार....टूटते परिवारों की सिसकियां आज भले ही मंद मंद सुन रही है इसे अनसुना कर सकते है पर जब कृन्दन होगा तो सुन नहीं पाओगे....

दरक रहे रिश्तों को संभाल लीजिए, अभी बहुत अधिक नहीं बिगड़ा है....अहम का वहम..... कहीं बिना गाड़ी की स्टेपनी और सुनसान जंगल में गाड़ी पंचर वाले हालात में ना पहुंचा दें.......
पैसा,तरक्की,नाम,शौहरत सब फीकी पड़ जाती है जब गम में साथ देने के लिए एक कंधा,एक कदम नहीं मिलता....सोचिए?
एक दिन मेरे मित्र का फ़ोन आया, भाई! मेरे बॉस की माताजी का देहावसान हो गया ,उनका पार्थिव शरीर एस एम एस हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखा है। कोई सुन नहीं रहा.... मुझे दुःख था, तो आश्चर्य भी कि बॉस मतलब बड़ा आदमी और इतना निरीह...?
जब मैं वहां पहुंचा तो देखता हूं बॉस नामक प्राणी मोर्चरी के बाहर सड़क पर बैठा है । उसके साथ आए लोग उससे दूर खड़े गपशप लगाने में मशगूल है ।
ईश्वर की कृपा ही थी कि मैंने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया और उनका काम हो गया।
उनकी माता जी को सर्पदंश लगा था और समय पर पता नहीं चलने के कारण जहर शरीर में फैल गया था।
 हॉस्पिटल  लाते समय रास्ते में उनका देहावसान हो गया ,शरीर में जहर को देखकर डॉक्टर ने पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया था ।
पोस्टमार्टम के बाद जब उनके शव को बाहर लाकर उनकी गाड़ी में रखने का समय आया तब भी साथ वाले दाएं बाएं हो रहे थे मैं और मेरे दो साथी मित्रों ने मिलकर उनके शव को उनकी गाड़ी में जैसे ही रखवाया,साथ आये लोग लपक कर गाड़ी में बैठ गए ।
मन विचलित था,कि यह साथ में लोग कौन थे? और फिर जब सहयोग नहीं कर रहे थे तो साथ आना क्या जरूरी था?
 दो-चार दिनों बाद मेरे मित्र के संग उनके घर जाना हुआ। उस दिन आए थे उनमें से दो-तीन लोग मिले ...एक ने पीठ थपथपाते हुए कहा -भले आदमी हो ।
गुप्ता, ऐसे लोगों से भी दोस्ती करता है क्या? बातों बातों में पता चला कि बॉस नाम का वह प्राणी जब कभी भी गांव में आता .....गांव के लोगों को अपने पैसे के ,अपने रुतबे को ध्यान में रखकर गांव वालों को हिकारत भरी नजरों से देखता था ।
उस बॉस नामक महामानव ने पैसे तो कमाये होगें पर रिश्ते सहेज पाने में नाकाम रहा ।
आस पड़ोस के लोग, परिवार के लोग जो सुख-दुख में साथ देते हैं और जिस सहजता से एक दूसरे के पीछे खड़े होते हैं .....वह रिश्ते कमाने में नाकाम रहा।

अपनी जीवन रूपी गाड़ी के चार पहियों प्यार,विश्वास, आत्मीयता,सहजता को संभालते रहिये....साथ ही मीठे दो बोल वाली स्टेपनी को साथ रखिये...
आज बस इतना ही...
।।शिव।।
शारदीय नवरात्र २०७६ ( 2076 )
तृतीय रात्रि

Comments

रिश्ते बनाना व सहेज कर रखना आज की आवश्यकता

Popular posts from this blog

अब भारत नहीं बनेगा घुसपैठियों की धर्मशाला

फिर बेनकाब हुआ छद्म धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा

भारत को इंडिया कहने की विवशता क्यों ?