फिर मत आना,बापू!

क्या अर्पित करूं बापू तेरे जन्मदिन पर.... यहां फूल है पर कागजी.... तेरे पद चिन्हों पर चलने का संकल्प है पर बनावटी .....आज तुम्हें श्रद्धा से याद करेंगे,पूरे देश में पर  एक आग्रह है बापू फिर मत आ जाना इस देश ।

क्योंकि अब तुम से ही तुम्हारे होने का प्रमाण मांगेंगे, भले ही तुम्हारे जन्मदिन पर 1 दिन की छुट्टी हम सब मना ले ...वैसे ही जैसे तुम्हारे आराध्य राम के होने पर सवाल उठता है।
 बचपन में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते समय डरते मोहन को माँ ने कहा था, जब राम साथ होते हैं तो डरते नहीं और उस राम को जीवन भर अपने मन में बसा लेने वाले मोहन महात्मा बन गए ।
आज तुम्हारे वही राम जज साहब की कुर्सी के पीछे लगी तुम्हारी ही तस्वीर के सामने अपने होने का प्रमाण वकीलों के माध्यम से देने को मजबूर है।
 हां बापू! आओ तो किसी गाय के सामने से मत निकल जाना, नहीं तो वह सवाल करेगी कि तुमने ही तो कहा था बापू! कि देश एक दिन के लिए भी आजाद हो जाए तो मैं सबसे पहला काम करूंगा गोहत्या बंदी ....पर आजादी के 70 साल बाद भी गाय यूं ही कटती है और अब गौहत्या बंदी पर रोक लगाने की मांग करने वाले सांप्रदायिक हो जाते हैं ।
....और हां जिस पार्टी को तुमने अपने खून पसीने से सींचा उसके लोग केरल में सरेआम गौ वध करते हैं और उससे अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं ।
बापू!तुम किसी गांव की तरफ भी मत चले जाना, क्योंकि तुम्हारा सपना था ग्राम स्वराज का।
आज गांव में तुम्हें भ्रष्टाचार दिखेगा, अनाचार दिखेगा, अत्याचार दिखेगा....पर तुम्हारा स्वराज कहीं दिखाई नहीं देगा ।
तुम अपनी प्रतिमा की तरफ भी मत चले जाना, क्योंकि वहां तुम्हें मिल जाएंगे अपनी मांग के लिए धरने पर बैठे लोग ....जो आज भी तुम्हारे पद चिन्हों पर चलते हैं पर उनकी सुनी नहीं जाती ....
हां बापू! एक बात तो किसी अबला से भी मत मिल लेना क्योंकि तुमने एक अबला के कम वस्त्र देखकर पूरे जीवन पर्यंत एक वस्त्र में अपना जीवन काटने का निश्चय कर लिया था आज तो हजारों अबलाओं के चीरहरण रोजाना होते है,कहीं वह तुमसे सवाल न पूछ लें कि गांधीजी क्या यही तुम्हारी आजादी थी?
हां बापू! तुम्हें बेचैन कर देगी क़त्ल खानों में कटती गायों की पुकार .....तुम्हें विचलित कर देगी अब लोगों के साथ होते अत्याचार में उनकी चीख-पुकार .....हां तुम्हें लज्जित कर देगी राम के होने पर होती बहस...... क्योंकि 30 जनवरी को तुम्हारे अंतिम शब्द थे ,हे राम! कहीं तुमसे उस पर ही सवाल ने पूछ लें तुम्हारे अनुगामी ।
हां बापू! आज तुम्हारा जन्मदिन है तुम डेढ़ सौ साल के हो गए ....बहुत पुराने हो गए पर तुम्हारी जन्म के साथ लगा बरगद का पेड़ आज भी जिंदा है ....पर उसके आसपास लगे सारे पेड़ अब अपना अस्तित्व खो चुके है।
हर साल तुम्हारी जय जयकार के साथ लाखों पेड़ लगते हैं इस धरती पर और उसमें से बचते कितने हैं? आज तक किसी को नहीं चल पाया... यदि आजादी के बाद लगे सब पेड़ों के आंकड़े इकट्ठे कर ले तो संभवत इतने पेड़ लग गए कि तुम्हारी किसी मूर्ति लगाने के लिए भी जगह नहीं बचती.... पर आज तुम्हारी हर चौराहे पर मूर्ति खड़ी कर दी जाती है ......
तुम आओ तो एक बार किसी विधानसभा की तरफ भी मत चले जाना..... तुम अपनी मूर्ति देखकर कहीं फूल कर कुप्पा हो जाओ और तुम वहां चले जाओ क्योंकि वहां भी तुम्हें जनता की मांगों की बजाए अपने हित को साधने वाले जनप्रतिनिधि मिल जाएंगे....
 हां बापू! एक और निवेदन था तुमसे, किसी सरकारी स्कूल की तरफ भूल कर भी मत चले जाना क्योंकि वहां शिक्षक अपनी तबादले की परिवेदना लिए तुम्हें मिल जाएगा.... किसी हॉस्पिटल की तरफ तो भूलकर भी मुंह मत करना ....नहीं तो मरीजों की चीख पुकार और हॉस्पिटल में काम करने वाले सरकारी लोगों की छीना झपटी तुम्हारे मन को कचोट देगी.... एक बार सोच कर देखना बापू! यदि तुम उस सरकारी हॉस्पिटल की तरफ चले जाते आज कस्तूरबा बा को लेकर तो सच कहता हूं यह सोच कर मेरा मन सिहर जाता है कि क्या हालत होती कस्तूरबा बा और तुम्हारी ....हां भले ही उस हॉस्पिटल का नाम तुम्हारे नाम पर रखा गया हो ।
हां बापू! एक बात और तुम पूरे जीवन पैरवी करते रहे कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए और अब देश में तुम्हारे नाम पर अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जाने लगे है और वह भी सरकारी ....
तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हारे नाम पर शपथ होगी.... तुम्हारे नाम पर घोषणाए होंगी पर एक बार किसी दफ्तर की तरफ झांक कर देख लेना.... अब तक हुई तुम्हारे नाम की सारी घोषणा की भी क्रियान्वित ही ठीक ढंग से हो जाती तो देश सच में सुराज की ओर होता.... स्वराज की ओर होता ।
तुम्हारे नाम पर चलती रोजगार गारंटी योजना की तरफ तो भूल कर भी मत चले जाना, क्योंकि वहां तुम्हें फर्जी मस्टररोल के कागज मिलेंगे.... वहां तुम्हें ऐसा बहुत कुछ मिलेगा जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी .......
मेरी बहुत इच्छा होती है तुम्हें सच में श्रद्धांजलि दूँ.... पर कैसे दूं ?
हां इतना जरूर हुआ है तुम्हारे नाम पर देश में स्वच्छता अभियान चला है और सच में चला है, गांव,गली,मोहल्ले में लोग जागरूक हुए हैं.... सच में तुम्हारे नाम में ताकत आज भी है.... तुम्हारे नाम पर लोग त्याग करना  चाहते हैं.... आज भी तुम्हारे नाम पर लोग एकजुट हो जाते हैं .....पर कुछ लोग तुम्हारे नाम का इतना बेजा इस्तेमाल करते हैं कि वह अपराधियों के साथ खड़े हो जाते हैं.....
 याद है ना बापू? तुमने कहा था कि देश का विभाजन मेरी लाश पर से होगा पर कुटिल राजनीतिज्ञों ने तुम्हारी नहीं सुनी और देश का विभाजन हुआ ।
तुमने शांति के लिए वह भी स्वीकार कर लिया दुखी मन से ....पर जानते हो तुम जिस हिस्से को छोड़कर गए थे उस हिस्से को भी तोड़ने की कवायद होती है और उस कवायद के समर्थन में खड़े हो जाते हैं तुम्हारा नाम धरने वाले लोग..... इसलिए चाहता हूं बाबू तुम इस भारत में फिर मत आना क्योंकि तुम अपने आप से सवाल करोगे कि क्या मैं ही महात्मा गांधी हूं ?
बापू!तुम्हारे नाम रखकर लोगों को बरगलाने वालों ने सत्ता का सुख तो पाया ही पर तेरे सिद्धांतों को पलीता भी खूब लगाया....तुम भूलकर भी किसी गांधी ट्रस्ट की बिल्डिंग की तरफ मत चले जाना,नहीं तो तुम्हारे नाम से प्रसिद्ध तीनों बंदरों के स्वरूप... बुरा मत देखो,मत सुनो,मत कहो के विपरीत सब कुछ देखोगे,सुनोगे और बाहर निकलकर सच बोलना चाहा तो लोग कहेंगे,बूरा बोलते हो.....
आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैं देना चाहता हूं तुम्हें सच्ची श्रद्धांजलि और इसलिए ही आग्रह करता हूं बाबू तुम फिर मत आना....
।।शिव।।

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