एक सामान्य कार्यकर्ता से शुरू हुआ सफर आज एक पड़ाव के रूप में राजस्थान जैसे विशाल राज्य के भाजपा परिवार के मुखिया के रूप में श्री सतीश पूनिया के जीवन में आया है।
सतीश पूनिया वैसे तो स्वभाविक कार्यकर्ता हैं पर उन्हें जिन कुशल हाथों ने गढ़ा है वे नीति,नियम,सिद्धांत,नेतृत्व क्षमता, समता जैसे गुणों से परिपूर्ण करने वाले हाथ हैं ।


वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक तो हैं ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही पहले अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता है ।
वहां से छात्र नेता बने हैं,युवा नेता के रूप में भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा की कमान संभाली,भाजपा के मंत्री,महामंत्री सहित अनेक जिम्मेदारी के निर्वहन के अनुभव के साथ ही आज निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी  है ।
राजस्थान की विधानसभा में न केवल अपने विधानसभा क्षेत्र आमेंर की आवाज बुलंद करते हैं बल्कि राजस्थान के युवाओं,गरीबों,किसानों,मजदूरों के हक की बात रखने में अग्रणी समझे जाते है।
साधारण व्यक्ति के जीवन में यह पड़ाव बहुत मायने रखता है निश्चित ही यह सतीशजी के जीवन में भी बहुत मायने रखता है।

 मंच से दूर मन के नजदीक रहने वाले कार्यकर्ता के रूप में सतीशजी की पहचान है। अब यह जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है कि वह कार्यकर्ताओं के मन के पास वैसे ही रहे जैसे पहले थे।
 वे रह सकते हैं क्योंकि उनका स्वभाव है सहज,रहना सरल रहना ।
चुनौतियां कम नहीं है उनके इस ताज के पीछे ....कांटो भरा ताज है। इसलिए उन्होंने परिक्रमा से नहीं पराक्रम से संगठन गढ़ने की बात की है....
यह परिक्रमा बन्द करनी है तो उन्हें अपने आसपास, कार्यालय की ओर नज़र दौड़ानी होगी,संगठन निष्ठा के साथ काम कर रहे सुदूर बैठे लोगों को संभालना होगा,अपने सुदीर्घ अनुभव से तिकडमी,संगठन निष्ठा के आवरण में छुपे कालनेमियों को पहचानना होगा....काम कठिन जरूर है,पर असंभव नहीं.....उनके काम के साथ उस विचार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है,जिसने उन्हें गढ़ा है.....
उन्हें भैरोंसिंह शेखावत जैसी लोकप्रियता, ललितजी जैसे कार्यकर्ताओं की चिंता,ओमजी की तरह संगठन की जड़ों तक पहुंच,महेशजी की तरह विचार की प्रखरता, प्रकाशजी की तरह कठोरता, रामदासजी जैसा प्रबंध,भँवरजी जैसी ध्येयनिष्ठा, मदनजी जैसी सहजता ....बहु आयामी व्यकितत्व के साथ आगे आना होगा।
भारतीय जनता पार्टी का जिस तरह व्याप बढा है ...विचार के साथ नए विचार के लोगों का भी समावेश हुआ है ...उन अलग विचार के लोगों को विचार के साथ जोड़ने की जिम्मेदारी है,उन्हें परिष्कृत करने की जिम्मेदारी बतौर अध्यक्ष उनकी है,जो परिष्कृत हो गए पूर्व में  पर काल के प्रभाव के कारण जिनके ऊपर धूल गर्द जम गई उनको फिर से चमकाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है ।
उन्हें वरिष्ठ और जेष्ठ राजनीतिज्ञों के सहयोग की जरूरत भी है उन्हें साथ लेकर चलना भी है और राष्ट्रीय नेतृत्व के लक्ष्यों को पाना भी है।
 वे साथ लेकर तो चल सकते हैं पर इंतजार करने की परिस्थिति में नहीं होंगे....और मुझे नहीं लगता कि वह इंतजार करने वाला स्वभाव रखते हैं ।
उन्हें उस लक्ष्य को अर्जित करना है जो संगठन ने निर्धारित किया है।विपक्ष में रहते हुए जनता के मुद्दों को उठाना है.... कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है..... कार्यकर्ताओं की शक्ति सामर्थ्य का उपयोग जनहित में इस प्रकार करना है कि जनता में संगठन की साख बने,विश्वास जमे ताकि राजनीतिक दल के रूप में जो एक राजनीतिक दल का लक्ष्य होता है सत्ता प्राप्त करना उसको भी अर्जित कर सकें ।
वे निराशा में भी आशा का संचार करना जानते हैं 1998 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह पराजित हो गई थी.... हर तरफ निराशा का वातावरण था ....वरिष्ठ नेता तक घर से बाहर निकलने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे ....तब युवा मोर्चा के अध्यक्ष के नाते उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की कर्मभूमि अजमेर से महाराजा सूरजमल की कर्मभूमि भरतपुर तक पदयात्रा निकाल कर एक ओर सामाजिक समरसता का संदेश दिया तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी जो निस्तेज हो रही थी उसमें ऊर्जा का संचार किया।
वही यात्रा थी, जिसमें वरिष्ठ नेता घरों से निकले ....कार्यकर्ता उत्साह के साथ जुटे और सामाजिक समरसता के भाव के साथ भारतीय जनता पार्टी फिर खड़ी हुई ।
उन्हें युवा नेताओं को साथ लेना है पर युवा नेताओं की आई बाढ़ में परिणाम कारी नेताओं को जिम्मेदारी देनी है, काम देना है...वे जिस विचार से आए हैं, जिस परिवेश से आए हैं उन्हें पता है कि हर व्यक्ति के लिए काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता का नियोजन करके वे संगठन को गति दे सकते हैं ।
एक समाचार पत्र ने जरूर उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर एक जाति विशेष के होने पर टिप्पणी की थी सतीश जी की जो साख है ....उनके चारों ओर कार्यकर्ताओं का संजाल है उसमें जाति नहीं भाजपा की युवा जमात है.... जिसे इस देश की मिट्टी से प्यार है, जिसे सतीश पूनिया जैसे नेतृत्व पर भरोसा है, जिसे उस विचार पर विश्वास है जिस विचार को लेकर सतीश पूनिया काम करते हैं ।



सतीश पूनिया जब विद्यार्थी परिषद से युवा मोर्चा में आए तो उन्होंने अपने समकालीन विद्यार्थी परिषद के सभी युवा कार्यकर्ताओं का नियोजन युवा मोर्चा में किया और उसका सुखद परिणाम यह था कि भारतीय जनता युवा मोर्चा पूरी शक्ति और सामर्थ्य के साथ उठ खड़ा हुआ ।
आज भारतीय जनता पार्टी की अग्रणी पंक्ति में जो युवा हैं.... जिलों में हो या प्रदेश में हो उसमें बहुत सारे लोग उस समय के लोग है ।
अब मुख्य संगठन के अध्यक्ष के नाते उन्हें उन कार्यकर्ताओं में से चयन करना है ,नए आए कार्यकर्ताओं की योग्यता के अनुसार उन्हें काम देना है,विचार के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखने वालों को तो जोड़ना ही है जो विचार के निकट आ रहे हैं उन्हें भी जोड़ना है ।
भारतीय जनता पार्टी हर प्रदेश में नया नेतृत्व विकसित कर रही है, युवा नेतृत्व को आगे ला रही है..  इसी कड़ी में राजस्थान में हुआ यह बदलाव नई पीढ़ी के लिए एक अवसर है ।
इस अवसर को युवा पीढ़ी ने एकजुटता और समर्पण भाव से थाम लिया तो राजस्थान एक नई इबारत लिखेगा और इस नई इबारत के लिए मेरी भारतीय जनता पार्टी के नए मुखिया और वैचारिक अग्रज डॉक्टर सतीश पूनिया को और उनकी नई टीम को जो बनने वाली है अग्रिम शुभकामनाएं।
।।शिव।।

Comments

Unknown said…
बहुत सुंदर और सटीक

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