जब जीरो (शून्य) दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आयी...
एक फिल्म आई थी जिसमें फिल्म का कलाकार नायक को संबोधित करते हुए कहता है व्हाट इज योर कंट्रीब्यूशन ....योर कंट्रीब्यूशन जीरो नायक कहता है हां!हमारा योगदान है जीरो....
सोचिए अगर जीरो नहीं होता तो क्या होता जीरो की बिना क्या सौ,हजार,लाख, करोड़, अरब... ऐसी राशियों की कल्पना कर सकते हैं?
भारत में लगभग 200 (500) ईसा पूर्व छंद शास्त्र के प्रणेता पिंगलाचार्य हुए हैं (चाणक्य के बाद) जिन्हें द्विअंकीय गणित का भी प्रणेता माना जाता है। इसी काल में पाणिणी हुए हैं जिनको संस्कृत का व्याकरण लिखने का श्रेय जाता है। अधिकतर विद्वान पिंगलाचार्य को शून्य का आविष्कारक मानते हैं।
पिंगलाचार्य के छंदों के नियमों को यदि गणितीय दृष्टि से देखें तो एक तरह से वे द्विअंकीय (बाइनरी) गणित का कार्य करते हैं और दूसरी दृष्टि से उनमें दो अंकों के घन समीकरण तथा चतुर्घाती समीकरण के हल दिखते हैं। गणित की इतनी ऊंची समझ के पहले अवश्य ही किसी ने उसकी प्राथमिक अवधारणा को भी समझा होगा। अत: भारत में शून्य की खोज ईसा से 200 वर्ष से भी पुरानी हो सकती है।
आर्यभट्ट (जन्म 476 ई.) को शून्य का आविष्कारक नहीं माना जा सकता। आर्यभट्ट ने एक नई अक्षरांक पद्धति को जन्म दिया था। उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय में भी उसी पद्धति में कार्य किया है। आर्यभट्ट को लोग शून्य का जनक इसलिए मानते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय (498 ई.) के गणितपाद 2 में एक से अरब तक की संख्याएं बताकर लिखा है 'स्थानात् स्थानं दशगुणं स्यात' मतलब प्रत्येक अगली संख्या पिछली संख्या से दस गुना है। उनके ऐसे कहने से यह सिद्ध होता है कि निश्चित रूप से शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट के काल से प्राचीन है।
भारत का 'शून्य' अरब जगत में 'सिफर' (अर्थ- खाली) नाम से प्रचलित हुआ फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में 'जीरो' (zero) कहते हैं।
अब आते है,अन्य योगदानों पर....
भारत दुनिया भर में अपनी संस्कृति, पाक शैली और विविधता के लिए जाना जाता है।भारत आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। हमारे देश ने कई महान हस्तियों को जन्म दिया,इसके साथ ही भारत ने दुनिया को कई ऐसी चीज़ें दीं जिससे लोगों का जीवन सुगम बना.
- योग
आज की तारीख़ में दुनिया भर में योग काफ़ी लोकप्रिय है. संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। आप किसी भी अच्छे जिम में जाइए तो वहां योग विशेषज्ञ मिल जाएंगे।योग के बारे कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास के पूर्व-वैदिक काल से ही प्रचलन में था. इसकी जड़ें हिन्दू, बौद्ध और जैन संस्कृति से है. अब ख़ुद को फिट रखने के लिए दुनिया भर में योग प्रचलन में आ गया है. पश्चिम में योग को स्वामी विवेकानंद (1863-1903) ने फैलाया ।
- रेडियो प्रसारण
सामान्य तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता इंजीनियर और खोजकर्ता गुलइलमो मार्कोनी को रेडियो प्रसारण का जनक माना जाता है. हालांकि भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने इससे पहले मिलीमीटर रेंज रेडियो तरंग माइक्रोवेव्स का इस्तेमाल बारूद को सुलगाने और घंटी बजाने में किया था. इसके चार साल बाद लोहा-पारा-लोहा कोहिरर टेलिफ़ोन डिटेक्टर के तौर पर आया और यह वायरलेस रेडियो प्रसारण के आविष्कार का अग्रदूत बना. 1978 में भौतिकी के नोबेल विजेता सर नेविल मोट ने कहा था कि बोस अपने समय से 60 साल आगे थे.
- फाइबर ऑप्टिक्स
क्या आप ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जहां आप अपने दोस्त की बिल्ली का प्यारा वीडियो या अपने ईमेल के इनबॉक्स में उत्पादों के लेटेस्ट ऑफर न देख सकें? ज़ाहिर है जब इंटरनेट की दुनिया नहीं थी तो ये सारी चीज़ें संभव नहीं थीं. लेकिन फाइबर ऑप्टिक्स के आने बाद वेब, ट्रांसपोर्ट, टेलिफ़ोन संचार और मेडिकल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन आए.
नरिंदर सिंह कपानी पंजाब के मोगा में जन्मे एक भौतिक विज्ञानी थे. दुनिया भर में इन्हें ऑप्टिक्स फाइबर का जनक माना जाता है. 1955 से 1965 के बीच नरिंदर सिंह ने कई टेक्निकल पेपर लिखे. इनमें से एक पेपर 1960 में साइंटिफिक अमरीकन में प्रकाशित हुआ था. इस पेपर ने फाइबर ऑप्टिक्स को स्थापित करने में मदद की थी.
सांप-सीढ़ी
आज के आधुनिक कंप्यूटर गेम्स को भारत के सांप-सीढ़ी खेल से प्रेरित कहा जाता है. भारत का यह खेल इंग्लैंड में काफ़ी लोकप्रिय हुआ. इस खेल की उत्पति का संबंध हिन्दू बच्चों में मूल्यों को सिखाने के तौर पर देखा जाता है. यहां सीढ़ियों को सदाचार और सांप को शैतान के रूप में देखा जाता है.
ऐतिहासिक रूप से इसे मोक्ष के रूप में देखा जाता है जिसका संबंध वैकुंठ यानी स्वर्ग से है. हालांकि 19वीं शताब्दी में जब यह औपनिवेशिक भारत में आया तो ब्रिटिश बाज़ार में इससे नैतिकता वाले पक्षों को हटा दिया गया था.
यूएसबी पोर्ट
यूएसबी यानी यूनिवर्सल सीरियल बस पोर्ट के अविष्कार से हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से जुड़ने में मदद मिली. इससे उस शख्स की भी ज़िंदगी बदल गई जिसने इसे बनाने में मदद की. उस शख्स का नाम अजय भट्ट है. 1990 के दशक में भट्ट और उनकी टीम ने डिवाइस पर जब काम शुरू किया तो उस दशक के आख़िर तक कंप्यूटर कनेक्टिविटी के लिए यह सबसे अहम फीचर बन गया था. भारत में जन्मे अजय भट्ट को इस मामले में सार्वजनिक तौर पर पहचान तब मिली जब 2009 में इंटेल के लिए एक टेलीविजन विज्ञापन आया. इसके बाद ग़ैर-यूरोपियन श्रेणी में 2013 में भट्ट को यूरोपियन इन्वेंटर अवॉर्ड से नवाजा गया.
फ्लश टॉयलेट्स
पुरातात्विक सबूतों से साफ़ पता चलता है कि फ्लशिंग शौचालय सिंधु घाटी सभ्यता में मौजूद था. कांस्य युगीन सभ्यता का यह इलाक़ा बाद में कश्मीर बना. यहां जलाशय और सीवेज काफ़ी व्यवस्थित क्रम में थे।
-शैम्पू
शैम्पू से बाल धोने के बाद भला कौन अच्छा महसूस नहीं करता होगा. ख़ुशबू, चमक और आत्मविश्वास को आसानी से महसूस किया जा सकता है. बिना शैम्पू के नहाना ऐसा लगता है मानो दोपहर बाद की चाय बिना बिस्कुट के हो. ऐसा लगता है कि बिना शैम्पू के कैसे नहाया जा सकता है? भारत में 15वीं शताब्दी में कई पौधों की पत्तियों और फलों के बीजों से शैम्पू बनाया जाता था. ब्रिटिश उपनिवेश काल में व्यापारियों ने यूरोप में इस शैम्पू को पहुंचाया...
ऐसा बहुत कुछ है ....हम नजर दौड़ाएंगे तो,दिखाई देगा। हमारी रसोई स्वस्थ जीवन की गारंटी है,हमारे मसाले केवल स्वाद ही नहीं बढाते,बल्कि आरोग्य प्रदान भी करते हैं ।
आप अपने आसपास नजर दौड़ा कर देखें ....गर्व करने के पल मिलेंगे.... गर्व करने के अवसर मिलेंगे ....पर हम पहले पश्चिम के प्रभाव से बाहर तो निकले...... हम पश्चिम की नकल करते हुए कभी मैकडोनाल्ड फास्ट फूड की कल्चर में घुस जाते हैं तो कभी बिग बॉस में झोंक देते है,जहां ना कुछ बिग होता है ना ही बॉस बनाने के सूत्र... हम उनके टूटते परिवारों की सिसकियां सुनने की बजाय उसमें मिल रही स्वच्छंदता को स्वीकार करने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
हम उनके जीवन में आ रहे बदलाव को समझने की बजाय उनकी नंगेपन के कीटाणुओं से समाज को प्रदूषित करते जा रहे हैं ।
नवरात्र शक्ति और सामर्थ्य की स्मृति का दिन है ,आज अंतिम नवरात्र होगा ...नवमी के दिन विचार करिएगा अपनी शक्ति सामर्थ्य का, व्यक्तिगत शक्ति और सामर्थ्य का ,...और समाज के शक्ति का भी और देश की शक्ति और सामर्थ्य का भी..... फिर आप विजयोत्सव मनाइए अपनी विजय का, समाज की विजय का और राष्ट्र की जय का।
क्योंकि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है यही कहा था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक परम पूज्य डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार जी ने विजय दशमी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करते हुए।
।।शिव।।
शारदीय नवरात्र २०७६ (2076)
सोचिए अगर जीरो नहीं होता तो क्या होता जीरो की बिना क्या सौ,हजार,लाख, करोड़, अरब... ऐसी राशियों की कल्पना कर सकते हैं?
भारत में लगभग 200 (500) ईसा पूर्व छंद शास्त्र के प्रणेता पिंगलाचार्य हुए हैं (चाणक्य के बाद) जिन्हें द्विअंकीय गणित का भी प्रणेता माना जाता है। इसी काल में पाणिणी हुए हैं जिनको संस्कृत का व्याकरण लिखने का श्रेय जाता है। अधिकतर विद्वान पिंगलाचार्य को शून्य का आविष्कारक मानते हैं।
पिंगलाचार्य के छंदों के नियमों को यदि गणितीय दृष्टि से देखें तो एक तरह से वे द्विअंकीय (बाइनरी) गणित का कार्य करते हैं और दूसरी दृष्टि से उनमें दो अंकों के घन समीकरण तथा चतुर्घाती समीकरण के हल दिखते हैं। गणित की इतनी ऊंची समझ के पहले अवश्य ही किसी ने उसकी प्राथमिक अवधारणा को भी समझा होगा। अत: भारत में शून्य की खोज ईसा से 200 वर्ष से भी पुरानी हो सकती है।
आर्यभट्ट (जन्म 476 ई.) को शून्य का आविष्कारक नहीं माना जा सकता। आर्यभट्ट ने एक नई अक्षरांक पद्धति को जन्म दिया था। उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय में भी उसी पद्धति में कार्य किया है। आर्यभट्ट को लोग शून्य का जनक इसलिए मानते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय (498 ई.) के गणितपाद 2 में एक से अरब तक की संख्याएं बताकर लिखा है 'स्थानात् स्थानं दशगुणं स्यात' मतलब प्रत्येक अगली संख्या पिछली संख्या से दस गुना है। उनके ऐसे कहने से यह सिद्ध होता है कि निश्चित रूप से शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट के काल से प्राचीन है।
भारत का 'शून्य' अरब जगत में 'सिफर' (अर्थ- खाली) नाम से प्रचलित हुआ फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में 'जीरो' (zero) कहते हैं।
अब आते है,अन्य योगदानों पर....
भारत दुनिया भर में अपनी संस्कृति, पाक शैली और विविधता के लिए जाना जाता है।भारत आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। हमारे देश ने कई महान हस्तियों को जन्म दिया,इसके साथ ही भारत ने दुनिया को कई ऐसी चीज़ें दीं जिससे लोगों का जीवन सुगम बना.
- योग
आज की तारीख़ में दुनिया भर में योग काफ़ी लोकप्रिय है. संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। आप किसी भी अच्छे जिम में जाइए तो वहां योग विशेषज्ञ मिल जाएंगे।योग के बारे कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास के पूर्व-वैदिक काल से ही प्रचलन में था. इसकी जड़ें हिन्दू, बौद्ध और जैन संस्कृति से है. अब ख़ुद को फिट रखने के लिए दुनिया भर में योग प्रचलन में आ गया है. पश्चिम में योग को स्वामी विवेकानंद (1863-1903) ने फैलाया ।
- रेडियो प्रसारण
सामान्य तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता इंजीनियर और खोजकर्ता गुलइलमो मार्कोनी को रेडियो प्रसारण का जनक माना जाता है. हालांकि भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने इससे पहले मिलीमीटर रेंज रेडियो तरंग माइक्रोवेव्स का इस्तेमाल बारूद को सुलगाने और घंटी बजाने में किया था. इसके चार साल बाद लोहा-पारा-लोहा कोहिरर टेलिफ़ोन डिटेक्टर के तौर पर आया और यह वायरलेस रेडियो प्रसारण के आविष्कार का अग्रदूत बना. 1978 में भौतिकी के नोबेल विजेता सर नेविल मोट ने कहा था कि बोस अपने समय से 60 साल आगे थे.
- फाइबर ऑप्टिक्स
क्या आप ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जहां आप अपने दोस्त की बिल्ली का प्यारा वीडियो या अपने ईमेल के इनबॉक्स में उत्पादों के लेटेस्ट ऑफर न देख सकें? ज़ाहिर है जब इंटरनेट की दुनिया नहीं थी तो ये सारी चीज़ें संभव नहीं थीं. लेकिन फाइबर ऑप्टिक्स के आने बाद वेब, ट्रांसपोर्ट, टेलिफ़ोन संचार और मेडिकल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन आए.
नरिंदर सिंह कपानी पंजाब के मोगा में जन्मे एक भौतिक विज्ञानी थे. दुनिया भर में इन्हें ऑप्टिक्स फाइबर का जनक माना जाता है. 1955 से 1965 के बीच नरिंदर सिंह ने कई टेक्निकल पेपर लिखे. इनमें से एक पेपर 1960 में साइंटिफिक अमरीकन में प्रकाशित हुआ था. इस पेपर ने फाइबर ऑप्टिक्स को स्थापित करने में मदद की थी.
सांप-सीढ़ी
आज के आधुनिक कंप्यूटर गेम्स को भारत के सांप-सीढ़ी खेल से प्रेरित कहा जाता है. भारत का यह खेल इंग्लैंड में काफ़ी लोकप्रिय हुआ. इस खेल की उत्पति का संबंध हिन्दू बच्चों में मूल्यों को सिखाने के तौर पर देखा जाता है. यहां सीढ़ियों को सदाचार और सांप को शैतान के रूप में देखा जाता है.
ऐतिहासिक रूप से इसे मोक्ष के रूप में देखा जाता है जिसका संबंध वैकुंठ यानी स्वर्ग से है. हालांकि 19वीं शताब्दी में जब यह औपनिवेशिक भारत में आया तो ब्रिटिश बाज़ार में इससे नैतिकता वाले पक्षों को हटा दिया गया था.
यूएसबी पोर्ट
यूएसबी यानी यूनिवर्सल सीरियल बस पोर्ट के अविष्कार से हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से जुड़ने में मदद मिली. इससे उस शख्स की भी ज़िंदगी बदल गई जिसने इसे बनाने में मदद की. उस शख्स का नाम अजय भट्ट है. 1990 के दशक में भट्ट और उनकी टीम ने डिवाइस पर जब काम शुरू किया तो उस दशक के आख़िर तक कंप्यूटर कनेक्टिविटी के लिए यह सबसे अहम फीचर बन गया था. भारत में जन्मे अजय भट्ट को इस मामले में सार्वजनिक तौर पर पहचान तब मिली जब 2009 में इंटेल के लिए एक टेलीविजन विज्ञापन आया. इसके बाद ग़ैर-यूरोपियन श्रेणी में 2013 में भट्ट को यूरोपियन इन्वेंटर अवॉर्ड से नवाजा गया.
फ्लश टॉयलेट्स
पुरातात्विक सबूतों से साफ़ पता चलता है कि फ्लशिंग शौचालय सिंधु घाटी सभ्यता में मौजूद था. कांस्य युगीन सभ्यता का यह इलाक़ा बाद में कश्मीर बना. यहां जलाशय और सीवेज काफ़ी व्यवस्थित क्रम में थे।
-शैम्पू
शैम्पू से बाल धोने के बाद भला कौन अच्छा महसूस नहीं करता होगा. ख़ुशबू, चमक और आत्मविश्वास को आसानी से महसूस किया जा सकता है. बिना शैम्पू के नहाना ऐसा लगता है मानो दोपहर बाद की चाय बिना बिस्कुट के हो. ऐसा लगता है कि बिना शैम्पू के कैसे नहाया जा सकता है? भारत में 15वीं शताब्दी में कई पौधों की पत्तियों और फलों के बीजों से शैम्पू बनाया जाता था. ब्रिटिश उपनिवेश काल में व्यापारियों ने यूरोप में इस शैम्पू को पहुंचाया...
ऐसा बहुत कुछ है ....हम नजर दौड़ाएंगे तो,दिखाई देगा। हमारी रसोई स्वस्थ जीवन की गारंटी है,हमारे मसाले केवल स्वाद ही नहीं बढाते,बल्कि आरोग्य प्रदान भी करते हैं ।
आप अपने आसपास नजर दौड़ा कर देखें ....गर्व करने के पल मिलेंगे.... गर्व करने के अवसर मिलेंगे ....पर हम पहले पश्चिम के प्रभाव से बाहर तो निकले...... हम पश्चिम की नकल करते हुए कभी मैकडोनाल्ड फास्ट फूड की कल्चर में घुस जाते हैं तो कभी बिग बॉस में झोंक देते है,जहां ना कुछ बिग होता है ना ही बॉस बनाने के सूत्र... हम उनके टूटते परिवारों की सिसकियां सुनने की बजाय उसमें मिल रही स्वच्छंदता को स्वीकार करने के लिए दौड़ पड़ते हैं।
हम उनके जीवन में आ रहे बदलाव को समझने की बजाय उनकी नंगेपन के कीटाणुओं से समाज को प्रदूषित करते जा रहे हैं ।
नवरात्र शक्ति और सामर्थ्य की स्मृति का दिन है ,आज अंतिम नवरात्र होगा ...नवमी के दिन विचार करिएगा अपनी शक्ति सामर्थ्य का, व्यक्तिगत शक्ति और सामर्थ्य का ,...और समाज के शक्ति का भी और देश की शक्ति और सामर्थ्य का भी..... फिर आप विजयोत्सव मनाइए अपनी विजय का, समाज की विजय का और राष्ट्र की जय का।
क्योंकि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है यही कहा था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक परम पूज्य डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार जी ने विजय दशमी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करते हुए।
।।शिव।।
शारदीय नवरात्र २०७६ (2076)
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