वासुदेव देवनानी-शिक्षा में बदलाव के साथ किया जिन्होंने नवाचार,

वे राजनेता है क्योंकि 4 बार के विधायक हैं फिर भी वह आज भी पहले एक निष्ठावान स्वयंसेवक हैं ,वे दो बार राजस्थान सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री रहे हैं पर आज भी एक आदर्श शिक्षक है,वे सहज है सरल है पर राजनीतिक की चौसर के खेल में  माहिर खिलाड़ी है ।

कागज के लिफाफे बनाकर और सार्वजनिक लाइट की रोशनी में पढ़कर अपने जीवन में संघ के संस्कार लाने वाले वासुदेव देवनानी का आज जन्मदिन है जो चौथी बार अजमेर उत्तर से विधायक हैं ।
आज के दिन ही भावन दास जी और सखी देवी के घर जन्मे वासुदेव देवनानी शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए हमेशा राजस्थान में याद किए जाते रहेंगे।
शिक्षकों के पदस्थापन में पारदर्शिता लाने के लिए काउंसलिंग पद्धति अपनाकर और सारे विभाग का कंप्यूटराइजेशन कर आपने शिक्षा क्षेत्र में जो नवाचार के कदम उठाए पर निसंदेह आने वाले समय में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले होंगे ।
शिक्षा को रोजगारों उन्मुखी बनाने के लिए आपने अपने पहले कार्यकाल में प्रत्येक पंचायत समिति में आईटीआई,प्रत्येक जिले में पॉलिटेक्निक कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे विचार के साथ बड़ा बदलाव किया था ।
उसी प्रकार आपने अपने दूसरे कार्यकाल में प्रत्येक ग्राम पंचायत पर उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थापना और उनको आदर्श विद्यालय के रूप में बदलने का अभूतपूर्व काम शुरू किया साथ ही प्रारंभिक शिक्षा भी उत्कृष्ट मिल सके हर ग्राम पंचायत में इसलिए आपने उत्कृष्ट विद्यालयों का भी काम प्रारंभ किया ।
 प्रत्येक ग्राम पंचायत में राजकीय आदर्श और उत्कृष्ट विद्यालय से शिक्षा के सार्वजनिकरण विचार के साथ बडा बदलाव किया।

 भले ही सरकार बदलने के बाद नाम बदल दिए गए हैं उस विचार पर कुछ रोक लगा दी गई हो फिर भी आपकी पहल आज भी जनमानस में एक यादगार पहल है ।
पहली बार अनेक विद्यालयों के कक्षा 10 के छात्रों ने अपनी उच्च माध्यमिक स्तर की विद्यालय के संकाय का चयन किया, विद्यालय में हुए बदलाव से न केवल शिक्षकों का सम्मान बड़ा बल्कि शिक्षा की साख में बढ़ोतरी हुई और विद्यालयों में नवप्रवेशित छात्रों की संख्या में भारी इजाफा हुआ, परिणाम भी बदले और सरकारी विद्यालय निजी विद्यालयों को टक्कर देने लगे ।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जब दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी करना मुमकिन होता है।
 प्रशासनिक स्तर पर बदलाव के साथ-साथ अपने शिक्षकों की  वर्षों से रुकी पदोन्नति की जो पहल की वह एक अभूतपूर्व बदलाव था,साथ ही विद्यालयों के प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के लिए माइक्रो मॉनिटरिंग की प्रक्रिया आपने प्रारंभ की। पी ई ओ को अधिकार देकर आपने ग्राम पंचायत की उच्च माध्यमिक विद्यालय को एक नोडल केंद्र के रूप में विकसित किया जिससे प्रत्येक ग्राम पंचायत की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ ।
आपके जीवन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे स्वर्गीय कृष्ण भैया जी का बड़ा प्रभाव रहा है और संघ से मिली विचार दीक्षा के चलते ही आपने राजस्थान के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया जिसकी पूरे देश भर में प्रशंसा हुई यद्यपि विपक्षी दलों द्वारा भगवाकरण के आरोप लगाए गए पर निष्पक्ष विश्लेषण किया जाए तो वह राजस्थान की संस्कृति, राजस्थान के इतिहास, राजस्थान के गौरव की प्रतिष्ठापना का कालखंड था ।
महाराजा सूरजमल जाट हो या फिर बाबा रामदेव, वीर तेजाजी, आचार्य श्री तुलसी,पन्नाधाय..... वीरों की गाथा थी तो संतों की कहानियां भी, इतिहास का गौरव था तो परंपराओं का अभिमान था कुल मिलाकर राजस्थान के बच्चों में अपने प्रदेश की बहुरंगी कला एवं संस्कृति से जुड़ाव के साथ अपने इतिहास के गौरवपूर्ण अध्ययन के ऊपर स्वाभिमान जागृत करने का प्रयास था।
एक शिक्षक के रूप में अपने लंबे जीवन में आपने अपने विद्यार्थियों पर एक अनूठी छाप छोड़ी है तो वहीं एक जनप्रतिनिधि के रूप में और कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए आपने उनका विश्वास अर्जित किया है।
 विद्यार्थी परिषद के सामान्य  कार्यकर्ता के रूप में अपना जीवन प्रारंभ कर नगर मंत्री, प्रदेश मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष जैसी महत्ति जिम्मेदारियों को निभाते हुए आप विद्यार्थी परिषद की शैक्षिक परिवार की संकल्पना- शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षाविद्द् तीनों को अपने जीवन में उतारा है और उसी अनुरूप अपने जीवन को खड़ा है ।
 आप शिक्षक रहे हैं आपने शिक्षार्थी के जीवनकाल में विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता काम किया है और एक शिक्षाविद के रूप में बतौर शिक्षा मंत्री आपने अभूतपूर्व काम किया है।

 आज आपके जन्मदिन पर मैं अनेकानेक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं आप समाज जीवन के क्षेत्र में स्वस्थ रहते हुए सदैव सक्रिय रहें, दीर्घायु हो।
।।शिव।।

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