बड़ा सेठ
शहर में एक सेठ जी रहते थे।शहर के जाने-माने भामाशाह में उनकी गिनती होती थी,जो भी उनके घर पर आता था वह खाली हाथ नहीं जाता था । इस कारण शहर में उनको नगर सेठ के रूप में पहचाना जाने लगा।
एक बार सेठ जी के मित्र और परिजन बैठे चर्चा कर रहे थे ।एक मित्र ने कहा-"आपसे बड़ा सहयोग करने वाला मैंने नहीं देखा।"सेठ जी उसकी बात सुनकर नीचे जमीन की तरफ देखने लगे ।अन्य मित्रों को आश्चर्य हुआ कि कोई उनकी तारीफ कर रहा है और वे उस तारीफ का मुकम्मल जवाब नहीं दे रहे हैं ।
एक अन्य मित्र ने सेठ जी से पूछते हुए कहा-"क्या आपको आपसे ज्यादा देने वाला कोई दिखता है?"
सेठजी ने लंबी सांस खींचते हुए बोलने के लिए अपनी गर्दन ऊंची की तो उनकी आंखों में सबने नमी देखी। उन्होंने अपनी जिंदगी का एक किस्सा बताते हुए कहा-"जब मैं अपने घर से शहर के लिए निकल रहा था तो किसी साधन से यहां आने तक के मेरे पास पैसे नहीं थे, तब मेरे एक दोस्त ने अपने खेत की फसल बेचकर लाए गए रुपयों में से मुझे निकाल कर दिए और मैं उसे कई साल तक नहीं चुका पाया। मुझे कई वर्षों बाद उसकी याद आई तो मैंने उसे ढूंढा और अपने पास बुलाया। मैंने उसे बहुत सा धन देकर सम्मान करना चाहा तो उसने जो मुझे बात कही वह मैं कभी नहीं भूल सकता उसने कहा-"मित्र! मैंने तुम्हारी मदद उस वक्त की जब मेरे पास पैसा नहीं था और तुम मेरी मदद उस वक्त करना चाहते हो जब तुम्हारे पास सब कुछ है।" कहते कहते सेठजी का गला भर आया था।
मैं मानता हूं कि मेरे से बड़ा भामाशाह मेरा वह मित्र है,जिसने अपनी आवश्यकताओं में से कटौती कर मेरे सपनों को उड़ान दी।
आपके जीवन में भी ऐसे अवसर आएं होंगे जब आपका साथ आपके किसी मित्र-परिजन ने दिया होगा।आइये,आज उन सबको याद करें,हो सकता है आज उनको आपके इसी सम्बल की जरूरत हो।
आपका दिन मंगलमय हो।
।।शिव।।
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