दहेज

 एक मल्टीनेशनल कम्पनी में इंजीनियर था प्रियांश। आयशा उसके साथ ही काम करती थी, दोनों एक दूसरे को पसन्द करते थे परन्तु डरते थे कि कहीं दोनों के माता-पिता धार्मिक भेद के कारण मना न कर दें।

दोनों ने अपने अपने घर पर बात की प्रियांश के माता-पिता  शिक्षक थे उन्हें विवाह को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी। उधर आयशा ने घर पर बात की तो पापा तो तैयार हो गए पर अम्मी ने ऐतराज जताया,कुछ परिवार जनों ने भी पर अब्बू ने समझाकर अपना फैसला सुना दिया- कहते लख्त ए जिगर है और उसके ही दिल की नहीं सुनेंगे तो फिर कैसी अपनी जिगर.....आखिरकार अपने अपने घरों में रजामंदी तो कर ली परन्तु दोनों की शर्त थी कि पहले दोनों परिवार आपस में मिलेंगे तभी अन्तिम निर्णय होगा। प्रियांश के घर आयशा अपने अब्बू- अम्मी के साथ आयी। दोनों परिवार आपस में मिलकर खुश थे। सब कुछ ठीक था तभी आयशा की अम्मी बोली- 'बहन जी! बच्चों की खुशी में हमारी खुशी। हमारे यहां तो मेहर की रस्म होती है पर आपके यहाँ तो दहेज दिया जाता है  ना, आपकी कोई मांग तो नहीं।'

'मांग है बहन जी, दो मांगे हैं। अगर पूरी कर सके तो ही यह विवाह होगा।'

आयशा की अम्मी अब्बू के साथ ही सभी घबरा गए, कोई नहीं समझ पा रहा थी  क्या करे। प्रियांश को भी मम्मी पर गुस्सा आ रहा था किन्तु सबके सामने कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसे मम्मी से ये अपेक्षा तो बिल्कुल भी नहीं थी।

'देखिए अफसाना आपा मेरी मांग आपसे नहीं इन बच्चों से है। हम दोनों परिवार इनकी खुशी के लिए मजहब की दीवारें तोड़ विवाह करने को तैयार हो गये। अगर ये इस रिश्ते को आजीवन निभाने का वादा करें तो ही हमें स्वीकार है। आज विवाह के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हैं और 6 महीने -साल भर में कह दे कि हम अलग होना चाहते हैं तो वह हमें स्वीकार नहीं होगा। 

दूसरी मांग है कि आयशा जिस प्रकार अपने मजहब की बातों का सम्मान करती है उसी तरह हमारी परंपराएं और संस्कार स्वीकार करेगी और प्रियांश से भी हम चाहेंगे कि वह आपके मजहब के रीति-रिवाजों का सम्मान करें ।

दोनों ही जनें समय, स्थान के अनुसार हमारी मान्यताओं में बदलाव की मांग हो तो  उन बदलावों को खुले मन से स्वीकार करें । दोनों ही जनें एक दूजे के परिजनों का सम्मान भी उसी भावना से करे जैसे अपने परिजनों का करते है।

आपको या हमें कभी भी एक दूजे से मिलकर नहीं लगे कि हम किसी पराये से मिले है। यही दहेज़ हम चाहते हैं।

प्रियांश,आयशा के साथ सभी को लग रहा था मम्मी ने वो बात कह दी जो सबके मन में थी.....प्रियांश ने आयशा की तरफ देखा तो उसकी आँखों से लग रहा था जैसे वो कह रही हो...कबूल है....

।।शिव।।

Comments

Gtkhandal2508@gmail.com said…
बहुत खुब मामाजी

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