फ़र्ज़
भाभी जी बहू की डिलीवरी बस आराम से निबट जाए उसके बाद ही मैं चैन की नींद सोऊंगी....बस ठाकुरजी बहु और आने वाले नवजात को कुशल रखें....कहते कहते वर्मा आंटी ने हाथ ऊपर की ओर जोड़कर मानों भगवान से प्रार्थना की। चिंता क्यों करती हो अंनत की माँ सब ठीक करेंगे ठाकुरजी। भरोसा रखो।
जैसे जैसे अनिता की डिलिवरी डेट करीब आती जा रही थी वैसे ही अनंत की की माँ परेशान लग रही थी।
पिछले चार सालों से वर्मा परिवार हमारा पड़ोसी था। अनंत,उसकी पत्नी अनिता, मिसेज वर्मा जिसे सब वर्मा आंटी कहते थे और एक 5 साल का नटखट निहाल।
आज जब वो ठाकुरजी के हाथ जोडक़र कह रही थी तो सच ही कह रही थी।घर पर बहु के बाद काम करने वाली वह अकेली ही थी और वह भी पैरों से लाचार। घिसट-घिसट कर सारा काम करती थी।
सारे रिश्तेदारों से मिन्नत कर चुकी थी कि बहू की डिलीवरी के लिए आ जाए, हॉस्पिटल में दो-चार दिन रह जाए पर सब ने बच्चों के एग्जाम, स्कूल,ऑफिस कुछ ना कुछ काम बता कर कन्नी काट ली थी।
ठीक है भगवान के ऊपर छोड़ अनंत की माँ ने सोच लिया ईश्वर जो करेंगे अच्छा ही होगा। अब किसी से जबरदस्ती तो कर नहीं सकती।
आज वह दिन भी आ गया।अनंत रात 11:00 बजे घबराया हुआ आया कि शर्मा आंटी मम्मी का ध्यान रखना ।मैं अनिता को हॉस्पिटल ले जा रहा हूं उसके पेट में दर्द हो रहा है। कड़ाके की दिसम्बर की सर्दी और दोनों बच्चे अकेले। मैंने कहा कि रुक मैं भी चलती हूं ।तू अकेला क्या क्या करेगा अनिता मेरी बहू नहीं क्या,मैं तेरी आंटी हूं, मैं रहूंगी अस्पताल में।तू चिंता ना कर,मैं हूँ ना... कहकर मैंने शर्माजी को जल्दी से बताया और अनंत-अनिता के साथ निकल गई।
हम जल्दी ही अस्पताल पहुँच गए।डॉ०अनिता को लेबर रूम में लेकर गए। एक घंटे बाद प्यारी सी गुड़िया को कपड़े में लपेटे हुए मुझे लाकर गोद दिया कि बधाई हो। लक्ष्मी आई है। आप दादी बन गई।
सच उस पल को मैं बयां नहीं कर सकती कि मुझे जो खुशी हुई ।मुझे लगा कि सच में मेरे घर लक्ष्मी आ गई है।मैंने जल्दी से अनंत की माँ को फोन करके खुशखबरी दी कि वो एक परी की दादी बन गई है,निहाल को राखी बांधने के लिए उसकी बहन आ गई है। वो आनंद से भर उठी और कहा कि आज से उस परी की 2 दादी हमेशा रहेंगी एक मैं और एक आप ।
मैं समझ नहीं पाई कि मैंने मदद करके बड़ा काम किया या वर्मा आंटी ने जो कहा वो बड़ा था। बस मेरे हाथ उठ गए थे ठाकुर की कृपा को धन्यवाद करने।
।।शिव।।
हम सबको भी अपने फ़र्ज़ की याद रहे और ऐसे ही पडौसी का साथ रहे।
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आपकी प्रत्येक कहानी हृदयस्पर्शी होती है भाईसाहब