गलतफहमी
सरोज भाभी आज फिर बिफरी हुई थी राजेन्द्र पर ।
राजेन्द्र उनका देवर था,को कह रही थी'' आप से पराए अच्छे हैं, जिन्होंने बुरे वक्त में हमारी सहायता की थी। ''
'' हां भाभी, मैं भी यही चाहता था।'' राजेन्द्र ने धीरे से कहा।
'' हां हां, मुझे पता है, आप क्या चाहते थे। हम भीख मांगे, अपनी जमीन आप के नाम कर दें।'' सरोज भाभी ने क्रोध की आग को और तेज करते हुए कहा।राजेन्द्र ने फिर अपनी ही रो में कहा '' वह तो आप ने अब भी उस ट्रस्ट के नाम पर की है।''
'' हां की है। उस ट्रस्ट ने हमारी सहायता तब की थी, जब इसके पापा एक दुर्घटना में शांत हो गए थे। मगर, उस ट्रस्टी से मैं आज तक नहीं मिली।'' भाभी ने यह कह कर मुंह बनाया, ''आप से उनका वह पराया दोस्त अच्छा है जिसने हमें ट्रस्ट से सहायता दिलवाई थी। उसी की बदौलत आज मेरा बेटा एक सफल व्यापारी है।''
'' मैं भी यही चाहता था भाभी, यह आत्मनिर्भर बनें, किसी की सहायता के बिना।''
'' रहने दीजिए। आप की निगाहें तो हमारी जमीन पर थी। उसे हड़पना चाहते थे, मैं कितनी बार आपको मना कर चुकी कि अपने जन्मदिन के बहाने मत आया करो यहां..।"भाभी कहती जा रही थी कि किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई।
उन्होंने दरवाजा खोला तो चौंक गई,'' अरे भाई साहब आप! आइए-आइए। इनसे मिलिए, ये कहने मात्र के लिए मेरे देवर हैं।''
फिर भाभी अपने देवर की ओर घुम कर बोली,'' और देवरजी! ये उनके वही दोस्त है जिन्होंने हमारी बुरे दिनों में सहायता की थी।''
तभी आंगुतक ने हाथ जोड़ते हुए कहा'' अरे ! सरजी आप !'' फिर माला टंगी तस्वीर की ओर इशारा कर के कहा, '' ये आप के भाई थे ?''
'' जी हां।''
तभी भाभी बोली,'' आप इन्हें जानते हैं ?''
'' हां। ये वही ट्रस्टी हैं, जिन्होंने गोपनीय रूप से ट्रस्ट बना कर आप की जमीन पर, एग्रो इंडस्ट्री खोलने में मदद की थी।''
यह सुनते ही भाभी संभल नहीं पाई। धड़ाम से सौफे पर बैठ गई।
रिश्तों में गलतफहमी मत पालिये,रिश्तें हमारे है थोड़ी समझ बढ़ाएंगे तो उन्हें समझ जाएंगे।
।।शिव।।
9829495900
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नित्य नयी सीख मिलती है आपके प्रसंगों से।