मकड़ी के जाले सी
वह टकटकी लगाये....हॉल के एक कोने में लगे जाले को देख रही थीं। उसकी नजरों ने तभी देखा एक कीट उस जाले की ओर बढ़ रहा था।
"क्या हुआ,आज यही बैठी रहोगी क्या.....? देखो घड़ी की ओर,स्कूल नहीं जाना क्या...? मनीषा को जब पति मुकेश ने टोका तो मानों वो सोते से जगी।
'यार,मेरा मन करता है कि यह नौकरी छोड़ दूँ। काम कर-कर के अब थक गई हूँ। शरीर और जीवन दोनों ही मशीन सा बन गया है।
स्टाफ के साथी पुरुषों की फ्लर्ट करने की नित नई कोशिशें कभी कभी भूखे भेड़ियों सी निगाहों में बदल जाती है... उन नजरों को अब सहन करना आसान नहीं हो रहा....कहते कहते मनीषा ने मुकेश की ओर याचना की नजर से देखा।
' तुम्हारा दिमाग तो ठीक है...कल मजाक में तुम्हे नागेश के बारे में क्या कह दिया,तुम तो बहाने तलाशने लगी....क्या हो गया नागेश से बातें करती हो तो, वो काम भी तो कितने आता है... नोकरी छोड़ दूं कितना आसानी से कहा है...बच्चों की पढ़ाई के बढ़ते खर्चे,गाड़ी,प्लेट की किश्तों के साथ साथ घर के खर्चे भूल गयी क्या...?
' मैं भी इंसान हूँ,मेरी भी इच्छा होती है कि कुछ तो आराम करूँ ऊपर से द्वि अर्थी मज़ाक करते लोग हर्ट करते है...पर उससे ज्यादा बुरा लगता है तुम्हारा सवाल करना....शक करना....मुझे बहुत बुरा लगता है। इन सबकी भूखी नज़रें जब अपने शरीर पर जमी देखती हूँ तो घिन आती है।'
'क्या हो गया देखते है तो,तुम भी छोटी छोटी बातों को बतंगड़ बना देती हो, आजकल सरकारी नोकरी मिलना आसान कहाँ है। अभी कितने साल बाकी हैं नौकरी को। तुम्हारे दिमाग में ये फ़ितूर आया कहाँ से? थोड़ा सहन भी करो ।' झिड़कते स्वर में मुकेश ने जवाब दिया।
'चलो अब उठो, आज मैं तुम्हे छोड़कर आता हूँ,आते समय बस से आ जाना,लो ये बीस रुपये आते समय 14 रुपये किराया लगेगा,कहते कहते मुकेश ने बीस रुपये मनीषा के हाथ में रखे और टेबल पर पड़ी गाड़ी की चाबी उठा ली। अब वह कीट जाले में फंसा फड़फड़ा रहा है और खूंखार दृष्टि जमाए एक मकड़ी उसकी ओर बढ़ रही है।
'नहीं' वह हौले से बुदबुदाई, फिर उसने आहिस्ता से जाला साफ करने वाला उठाया और उस जाले का अस्तित्व समाप्त कर दिया।
।।शिव।।
9829495900
Comments