गॉसिप पर विराम


शिवजा औऱ शेखऱ के चर्चे ऑफिस में तब से है जब पहली बार दोनों को ऑफिस में एक साथ हंसते हुए देखा था,सबने......

शेखऱ अक्सर गंभीर रहने वाला,अपने ही काम में व्यस्त..….अपने चेम्बर में किसी को बुलाया तो समझो कोई गंभीर ही बात होगी।

इसलिए कोई उसके आसपास ही नहीं फटकता था,कोई गलती से पास जाता तो उसका सवाल होता- कहिए,क्या कोई काम था....फिर उसकी आंखें सामने वाले के चेहरे पर जम जाती और सामने वाला उसके भाव शून्य चेहरे पर अटक जाता।

परन्तु जब से शिवजा ऑफिस में आई है तब से खींचा खींचा रहने वाला चेहरा थोड़ा मुस्कान बिखेरने लगा है,हो भी क्यों नही नई मैडम जो आ गयी है कहकर स्टॉफ वाले खीसे निपोरते।



शिवजा उनके समकक्ष पद पर ही  ट्रांसफ़र होकर आई है।शेखऱ जहां कम्पनी के मार्केटिंग हेड है तो मैडम विज्ञापन की हेड,इसलिए दोनों का काम भी एक साथ रहता था।

दोनों ही अपनी पर्सनल लाइफ में किसी को ताकझांक करने की इजाजत नहीं देते तो कहानियां गढ़ी जाने लगी।

गुमशुम रहने वाले शेखऱ सर अब मुस्कान बिखेरते है,किसी ने इससे पहले ना इनको ऑफिस आते देखा और ना जाते....सबके आने से पहले आना और जाने के बाद जाना।

ऑफिस की सफाई और सुरक्षा आउटसोर्स की हुई थी तो लोग बदलते रहते थे,तो किसी की स्टॉफ से बनने,बातें करने की कहानी नहीं बनती थी।

आज ऑफिस में असलम ने धमाका किया कि मैडम ने सर को अपने हुस्न के जाल में जकड़ लिया.... अब नैनों के मिलन से कहानी आगे बढ़ गई है।

तो वर्मा जी ने कहा-हमें तो मैडम को देखते ही लगा था कि नैनों के कटार से कुछ तो करके रहेगी।

पास खड़ी रश्मि ने कहा-ऐसे ही इतनी बड़ी पोस्ट पर थोड़े ही आई होगी,कुछ तो करामात होगी,एक हमें देखो दस साल से एक ही कुर्सी पर बैठे बैठे फूलते जा रहे है

रश्मि की आवाज़ सुनते ही मिस्टर कैलाश ने लार टपकाते हुए कहा-आप नजरें ही इनायत कहाँ करती है,जब से आये हो तब से आज तक आपका साथ भले ही आपकी कुर्सी ने छोड़ दिया हो और आपको नई लेनी पड़ी हो पर इस नाचीज़ ने कभी नहीं छोड़ा....वो कुछ और बोलते उससे पहले ही शिवजा के चेम्बर खुलने की आवाज़ सुन सब दुबक गए। बेचारा कैलाश अपनी बात ही पूरी नहीं कर पाया,पर सबकी चोर नजरें शिवजा को निकलते औऱ शेखऱ के चेम्बर की ओर जाते देख रही थी...



शेखऱ औऱ शिवजा ने भी महसूस किया कि स्टॉफ में सब कुछ सामान्य नहीं है उनको लेकर,पर वे नहीं चाहते थे कि अपनी लाइफ में  किसी की दखलंदाजी हो...वे अपने काम और अपनी जिंदगी में मशगूल थे।

एक दिन रविवार को सुबह सुबह रश्मि के मोबाइल पर एक मैसेज आया...मैसेज के रूप में निमंत्रण था शिवजा की ओर से शाम को होटल नीलाम्बर में रखे गए डिनर का,उसने जब बाकी महिला  सहकर्मियों को पूछा तो सबने कहा हाँ!मैसेज तो आया है।

उधर दोपहर बाद कैलाश के मोबाइल पर शेखऱ की ओर से निमंत्रण था तो उसने वर्मा सहित अपने एक आध सहकर्मियों से बात की तो उन्होंने भी बताया कि मैसेज आया है।

शाम को एक एक कर सब होटल पहुंच रहे थे, तो एक जोड़ा सबका स्वागत कर रहा था, होटल में बनें हॉल में शानदार सजावट थी।

स्टेज पर घोषणा हुई और स्वागत की तो सबने देखा शिवजा पूरे सोलह श्रृंगार किये आई तो वर्मा ने कैलाश को कहा,यार निमंत्रण तो शेखऱ सर का था,फिर इतने में ही दूसरी ओर से शेखऱ सर आते दिखाई दिए तो रश्मि ने गुरप्रीत को कहा यार चक्कर क्या है...?

उन सबके बीच कानाफूसी चल रही थी,कि शेखऱ ने माइक हाथ मे लिया और कहा- बहुत दिनों से इच्छा थी कि हम सब एक साथ मिलें, बातें करें,कम्पनी के काम से दूर कुछ नया किया जाये.... दूसरे सिरे पर खड़ी शिवजा ने कहा - कम्पनी के वर्क और पॉलिसी से अलग हम एक फैमिली भी है,इसलिए शेखऱ सर का सुझाव पसन्द आया और आज हम इस तरह एक जगह आये है।

रश्मि ने पास खड़ी ज्योत्सना को कोहनी मारते हुए कहा- कम्पनी के नाम पर खुद एन्जॉय करेंगे। तो दूसरी ओर कैलाश ने वर्मा जी को कहा-इनको एक साथ देखकर लगा कि  शायद आज कोई राज खुलेगा पर यह तो ऑफिस से होटल तक आ गए गुलछर्रे उड़ाने,बेशर्म....

स्टेज से शेखऱ बोल रहे थे- जिंदगी में कभी कभी किसी का साथ जिंदादिल बना देता है और किसी का पल भर का बिछोह त्रास दे देता है,मैंने इन दोनों ही दौर को देखा है पिछले तीन साल में....जब एम बी ए कर रहा था तभी जिंदगी में बहार आई ...बीच में टोकते हुए शिवजा बोली- सर आपकी बातों से बोर हो जाएंगे सब एन्जॉय करने दो ।

तभी वेटर बड़ा सा केक ले आये ....केक पर लिखा था हैप्पी थर्ड अनिवासरी शेखऱ एंड शिवजा.... सबके मुँह खुले के खुले रह गए....हर कोई एक दूजे की तरफ देख रहा था,रश्मि की तरफ जब वर्मा ने देखा तो नजरें अनायास ही झुक गयी,उसको लग रहा था कि वह खुद स्त्री होकर क्या सोच रही थी,उसी के बहाने तो कैलाश उसे छेड़ने की कोशिश कर रहा था।

शेखऱ औऱ शिवजा से मिलते हुए सबके चेहरे पर पश्चयताप के भाव थे तो वे दिनों मन ही मन मुस्कुरा रहे थे,बिना किसी को अपनी पर्सनल लाइफ में दखल दिए,बहुत कुछ समझा दिया था।

उस दिन के बाद हर दिन के सवाल औऱ चर्चों पर ताला लग चुका था....अब ऑफिस में उनकी चर्चा तो होती थी पर उनके काम के कारण मिलती कम्पनी को ग्रोथ की,उनके रिश्तों की जिन्दादिली की..…।

।।शिव।।

चित्र-गूगल से साभार

Comments

बहुत शानदार प्रदर्शन
तपन जी और रामअवतार जी आपका धन्यवाद।
Yogesh Goswami said…
बेहतरीन रचना🌹🌹🌹

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