मृत्युंजयी है महाकालेश्वर...

 सावन का महीना और सोमवार भी...अमृत काल ही कहेंगे इसे तो।भगवान आशुतोष सदाशिव की कृपा से ही शिव का सानिध्य मिल पाता है।

सावन में शिव धामों के मानस दर्शन की श्रृंखला में आज मानस यात्रा करेंगे, एक ज्योतिर्लिंग की।

बात जब ज्योतिर्लिंग की आती है तो बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम सामने आ जाते है,इन नामों में से एक नाम है महाकालेश्वर बाबा भोलेनाथ का।

जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में विराजित है। मान्यता है कि दक्षिणामुखी मृत्युंजय भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होकर सृष्टि का संचार करते हैं।

मध्यप्रदेश के हृदय स्थल में स्थित है तीर्थ भूमि उज्जैन।  उज्जैन पांच हजार साल पुराना नगर माना जाता है। इसे अवंती, अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, नंदिनी, अमरावती, पद्मावती, प्रतिकल्पा, कुशस्थली जैसे नामों से जाना जाता है।

महाकालेश्वर हैं स्वयंभू

शिवपुराण की एक कथा के अनुसार, दूषण नामक दैत्य के अत्याचार से उज्जयिनी के निवासी काफी परेशान हो गए थे। तब उन लोगों ने भगवान शिव की प्रार्थना की थी तो वह ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे और राक्षस का संहार किया था। इसके बाद उज्जयिनी में बसे अपने भक्तों के आग्रह से लिंग के रूप में वहां प्रतिष्ठित हो गए थे।

क्यों कहा जाता है मृत्युंजय महाकालेश्वर

श्री महाकालेश्वर पृथ्वी लोक के राजा है। सभी ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसकी प्रतिष्ठा पूरी पृथ्वी के राजा और मृत्यु के देवता मृत्युंजय महाकाल के रूप में की जाती है।

महाकालेश्वर से की जाती है काल गणना

माना जाता है कि काल गणना में शंकु यंत्र महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि पृथ्वी के केंद्र उज्जैन में इसी शंकु यंत्र पर महाकालेश्वर लिंग स्थित है। यहीं से पूरी पृथ्वी की काल गणना की जाती है।

कितना पुराना है श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

पुराणों के अनुसार, श्री महाकाल सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण के पालक नंद से आठ पीढ़ी पहले महाकाल यहां विराजित हुए थे। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में वेदव्यास ने महाभारत में, कालिदास, बाणभट्ट और आदि ने भी लिखा है।

ज्योतिर्लिंगों में सबसे खास

12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है। कहते हैं कि

 'आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।' अर्थात आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।

 महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन भाग हैं : वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं।

गर्भगृह की मानस यात्रा

 गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है। इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है।

भक्तों को अलग-अलग रूप में देते हैं महाकाल दर्शन

उज्जैन में विराजित महाकाल एक ही है, लेकिन वह अपने भक्तों को अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं। हर वर्ष और पर्व के अनुरूप ही उनका श्रृंगार किया जाता है। जैसे शिवरात्रि में वह दूल्हा बनते हैं तो श्रावण मास में राजाधिराज बन जाते हैं। दिवाली में जहां महाकाल का आंगन दीपों से सज जाता है, तो होली में गुलाल से रंग जाता है। जहां ग्रीष्म ऋतु में महाकाल के मस्तक में मटकियों से जल गिरता है, तो कार्तिक मास में भगवान विष्णु को सृष्टि का कार्यभार सौंपने के लिए पालकी में विराजित हो जाते हैं। महाकाल के हर एक रूप को देखकर व्यक्ति मोहित हो जाता है।

शेष अगली बार.....

।।शिव।।

Comments

Sangeeta tak said…
हर हर महादेव
Anonymous said…
हर हर महादेव
ज्ञानवर्धक एवं पौराणिक जानकारी हेतु धन्यवाद, जय महाकालेश्वर🙏🏻

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