एकलिंग नाथजी - महाराणा प्रताप थे जिनके दीवान

 मेवाड़ के शासक एकलिंग नाथ जी 

राजस्थान का नाम आते ही जो अनेक चित्र दृष्टि पटल पर उभरते हैं उनमें से प्रमुख हैं महाराणा प्रताप हो या बप्पा रावल का नाम श्रद्धा से लिया गया है।

मेवाड़ की पाग और  तलवार देश-धर्म के लिए सदा ऊंची ही मिली उस मेवाड़ के शासक माने जाने वाले भगवान आशुतोष के एक रूप एकलिंग नाथ जी के दर्शन की मानस यात्रा करते है आज ।

सावन के पवित्र माह में एक और शिव धाम की मानस यात्रा में चलिए,आज मेवाड़ के शासक एकलिंग नाथ जी कैलाशपुरी (उदयपुर) के दर्शन को।
जिधर से भी एकलिंग दीवान निकलते,शत्रु गाजर मूली की तरह कटे मिलते,क्योंकि जब शासन के रक्षक ही स्वयं महाकाल हो तो धर्म की पताका तो फहरेगी ही।
भगवान आशुतोष को शासक मानकर मेवाड़ के महाराणा उनके दीवान बनकर ही मेवाड़ की सेवा करते रहे,आज भी उन दीवानों का नाम एकलिंग नाथ जी की कृपा से श्रद्धा से लिया जाता है,चाहे राणा हमीर हो,बप्पा रावल हो,राणा रायमल हो,महाराणा प्रताप हो या राणा अमरसिंह।
*सत्य सनातन चिर पुरातन नित नूतन* की यह यात्रा अबाध चलती रहे,अपनी नई पीढ़ी को जोड़ते रहें,इतिहास से,संस्कार से,संस्कृति से।

राजस्थान में झीलों की नगरी कहलाने वाले उदयपुर से लगभग 24 किमी की दूरी पर विराजित हैं मेवाड़ के शासक, जिनके दीवान थे जुनूनी प्रताप। जी, हां! बात कर रहे हैं एकलिंग नाथ जी।

एकलिंगनाथजी के मंदिर के मूल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक बप्पा रावल ने किया था। लेकिन बाद में दिल्ली सल्तनत के शासकों के आक्रमणों में मूल मंदिर और मूर्ति को नष्ट कर दिया गया।

इसके बाद 14वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा और सिसोदिया राजवंश के संस्थापक राजा हमीर सिंह ने इसे बनवाया था  ..इसके बाद 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के दूसरे राजा कुंभा ने जब विष्णु मंदिर का निर्माण कराया था, तब एकलिंग मंदिर का भी पुनः निर्माण हुआ

बप्पा रावल और राणा रायमल
 1460 में एक लेख में राणा कुंभा को "एकलिंग के निजी सेवक" के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद 15वीं सदी के अंत में मालवा सल्तनत के ग्याश शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर एकलिंगजी के मंदिर को नष्ट कर दिया। 1473 ई. से 1509 ई. मध्य में राणा कुम्भा के पुत्र राणा रायमल ने उसे परास्त कर बन्दी बना लिया।

जिसके बाद राणा रायमल ने धन की मांग की और इसी धन से राणा ने मंदिर का पुनः निर्माण करवाया। राणा रायमल द्वारा इस मंदिर का अंतिम बार संरक्षण कार्य किया गया, जिसमें मंदिर की वर्तमान मूर्ति की स्थापना की गई।

यह मंदिर 2500 वर्ग फुट के क्षेत्र में बनाया गया है और इस मंदिर के परिसर में 108 मंदिर हैं।

मंदिर में स्थापित काले संगमरमर से निर्मित महादेव की चतुर्मुखी मूर्ति की स्थापना राणा रायमल ने ही की थी।

मंदिर के दक्षिणी द्वार के सामने एक ताखे में राणा रायमल संबंधित 100 श्लोकों का एक स्तुतिपाठ लगा है। प्रमुख मंदिर के पास और भी कई मंदिर निर्मित हैं जिनमें महाराणा कुम्भा द्वारा निर्मित विष्णु शेष मंदिर भी शामिल है।

इस मंदिर को हरिहर मंदिर, मीरा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। एकलिंग जी के मंदिर के नीचे विंध्यवासिनी देवी का एक और मंदिर भी स्थित है। 

एकलिंग जी के मंदिर में बप्पा रावल के गुरु और एकलिंग जी के मंदिर के महंत, का प्राचीन मठ आज भी है।

एकलिंगजी की मूर्ति के चारों ओर मुख हैं। इसका अर्थ है यह चतुर्मुख लिंग है।

ये हैं एकलिंग नाथ जी जिन्हें मेवाड़ के शासक और संरक्षक माना जाता हैं।

।।शिव।।

सत्य सनातन चिर पुरातन,नित नूतन 

#मेवाड़ #राणा #महाराणा #प्रताप #एकलिंगजी #उदयपुर #राजस्थान #बप्पा_रावल #महाराणा_प्रताप




Comments

Popular posts from this blog

अब भारत नहीं बनेगा घुसपैठियों की धर्मशाला

फिर बेनकाब हुआ छद्म धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा

भारत को इंडिया कहने की विवशता क्यों ?