चंद्र शेखर जी - बहुआयामी व्यक्तित्व

 साधारण सी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर विचार की प्रखरता के धनी जब राजनीति की रपटीली राहों पर चलते हैं तो अपनी विशिष्ट छाप छोड़ते ही  हैं। 

राजनीतिक क्षेत्र के प्रलोभन से जब उनका नाता नहीं होता और वैचारिक प्रतिबद्धता उनके लिए सब कुछ हो जाती है तो वे बन जाते हैं अजातशत्रु या फिर अपने कार्यकर्ताओं के अभिभावक। 

इसी प्रकार का वैशिष्ट्य रखने वाले राजस्थान भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री एवं वर्तमान में तेलंगाना में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी से संभाल रहे श्री चंद्रशेखर जी रखते है। जिनका आज जन्मदिन है।



2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर सांसद उम्मीदवार काशी पहुंचे तो क्षेत्रीय संगठन मंत्री के रूप में उन्हें चंद्रशेखर जी मिले, 2017 के उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक चुनाव परिणाम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा उलट फेर हुआ और भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की तो उस समय चंद्रशेखर जी वहां संगठन मंत्री थे।

राजस्थान में 2018 के चुनाव की दुंदुभी बज चुकी थी, चौसर बिछ चुकी थी, सत्ता और संगठन में बैठे शीर्ष के लोगों को बिना संगठन मंत्री काम करने की आदत पड़ चुकी थी क्योंकि राजस्थान से प्रकाश चंद्र जी के जाने के बाद संगठन मंत्री का पद लंबे समय से खाली था।

 ऐसे समय में जब उन्हें भेजा गया तो स्थितियां हाथों से निकल चुकी थी पर फिर भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को संभाला और पूरे 5 साल जब विपक्ष की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी के कंधे पर थी तब वह कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक, अभिभावक और संरक्षक बनकर खड़े रहे। 

बरसों से संगठन में कुर्सियों पर बैठे मठाधीशों की जगह  नए लोग आए।

नए लोगों पर भरोसा किया गया,उनको काम दिया गया उसी शैली में जिस शैली का आग्रह संगठन करता रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के संगठनकर्ताओं का मानना है कि हर कार्यकर्ता के लिए काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता ही संगठन को आगे बढ़ाने का मूल मंत्र है।

केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों की अक्षरश: पालन करते हुए, स्थानीय कार्यकर्ताओं को साथ लेते हुए लक्ष्य को साधने की जिम्मेदारी चंद्रशेखर जी पर राजस्थान में जब थी तो उन्होंने इस पर बखूबी काम किया।  यही कारण है कि राजस्थान में भाजपा के नेतृत्व में बदलाव हुआ,नया नेतृत्व आम कार्यकर्ताओं में से आया।

राजस्थान का कार्यकर्ता जब राजस्थान में सत्ता मिलने की खुशी जता रहा था, उसी उल्लास में रंगे कार्यकर्ता जब ढोल नगाड़े पीट रहे थे, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में तब वे अपने कमरे में बैठकर अपनी बैग तैयार करवा रहे थे अगली यात्रा के लिए। 

फिर वे राजस्थान के संगठन महामंत्री से तेलंगाना के महामंत्री संगठन हो गए थे। 

राजनीति में कहते है,जब तक कुर्सी है तब तक व्यक्ति सर्वोच्य है पर उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से इसे गलत साबित किया।

आज भी उनके जन्मदिन पर राजस्थान से अनेक नेता कार्यकर्ता तेलंगाना पहुंचे और अपनी शुभकामनाएं दी।

समाज के लिए कुछ करने का आप ठान लेते है तो कुछ विघ्न संतोषियों से भी आपकी ठन ही जाती है, और वे विघ्न संतोषी अपने प्रभाव,अपने चातुर्य से वो सब कुछ करते है जो उन्हें संतोष दे तो कुछ अपने भी तात्कालिक लाभ के लिए उनके संतोष के कारक बन जाते है।

वे उस उत्तर प्रदेश में जन्मे है जहां से भाजपा को बड़े नेता मिले,नेतृत्वकर्ता मिले,उस राजस्थान में काम किया जो विचार की उर्वरा भूमि है और भाजपा के लिए अवसर की प्रतीक्षा वाले दक्षिण का तेलंगाना उनका नया कार्य क्षेत्र है,जहां उनके जाने बाद संगठनात्मक  क्षमता में सकारात्मक बदलाव हुआ है,जिसका असर भी दिखने लगा है।

आज उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं है उनके सुस्वास्थ्य के प्रति, मंगलकामनाएं है उनके लिए संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति,शुभेच्छा है उनके लिए शुभमय होने वाले स्वप्न संकल्प की पूर्ति की।

पुनः जन्मदिन पर अनंत शुभकामनाएं।

।।शिव।।

Comments

Popular posts from this blog

अब भारत नहीं बनेगा घुसपैठियों की धर्मशाला

फिर बेनकाब हुआ छद्म धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा

भारत को इंडिया कहने की विवशता क्यों ?