ऑपरेशन सिंदूर जारी है...

ना मोदी रुका, ना भारत झुका

भारत-पाकिस्तान के वर्तमान हालात पहलगाम में पाकिस्तान पोषित मजहबी आतंकियों के द्वारा बेगुनाह भारतीयों की हत्या के बाद बनें। इस कायरतापूर्ण कार्यवाही के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी यात्रा को बीच में छोड़कर आए और कहा गुनहगारों को ऐसी सजा मिलेगी जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोची होगी। 

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को स्थान,समय और लक्ष्य तय करने के लिए  स्वतंत्र कर दिया यानि खुली छूट दे दी,विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में कहा सरकार जो भी कदम उठाएगी हम उसके साथ। 

एक तरफ विपक्ष के नेता कह रहे थे कि हम सरकार के साथ हैं, सरकार जो भी कदम उठाएगी उस पर हमारी सहमति है वहीं दूसरी ओर उसके नेता बार-बार सरकार से सवाल पूछ रहे थे कार्यवाही कब करोगे? 2014 से पहले क्या देश में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने कोई बम धमाका नहीं किया ? कोई हमला नहीं किया ? क्या बेगुनाहों की जान नहीं ली ? अगर ऐसा हुआ था तो उस समय की सरकारों ने क्या किया था ?

26/11 की आतंकी घटना में पाकिस्तान के नागरिक के जिंदा पकड़े जाने के बावजूद तत्कालीन कांग्रेस सरकार पाकिस्तान को डोजियर भेज रही थी और मंत्री अमेरिका से गुहार लगा रहे थे ।

इतना ही नहीं उस घटना को हिंदू आतंकवाद की घटना करार देने का षड्यंत्र सत्ता में बैठे लोग बना रहे थे, इस पर किताब भी लिखी गई और सत्ता के नजदीकी लोगों ने इसका विमोचन भी किया। 

पहलगाम की विभत्स घटना के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया यह तब भी नहीं हुआ जब भारत इस संधि के बाद कई युद्ध पाकिस्तान से लड़ चुका था, क्या इसके बारे में पाकिस्तान ने सपने में भी सोचा था,या इस पर किसी राजनेता ने इससे पहले विचार किया था?

इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान के अंदर भारतीय वायु सेवा ने कार्यवाही करते हुए जो आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया जिन्हें आतंकी संगठनों की रीढ़ माना जाता है।

इन हमलों में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए जिनमें भारत के खिलाफ काम करने वाले प्रमुख आतंकी सरगना भी थे।

 क्या पाकिस्तान ने सपने में भी सोचा था कि भारत पीओके में नहीं बल्कि उससे भी आगे उसके अधिकार क्षेत्र में घुसकर उन अड्डों को मिट्टी में मिला देगा जो भारत में आतंक फैलाने  की फैक्ट्री के रूप में काम करते हैं?

भारत ने अपनी कार्यवाही के बाद कहा था कि सटीक लक्ष्य के साथ हमने पहलगाम के गुनहगारों को सजा दी है,यह तथ्य ध्यान रखे,भारत ने पाक से युद्ध का नहीं कहा

पाकिस्तान ने इसकी प्रतिक्रिया में तुर्कीय निर्मित ड्रोन से हमला करने की असफल कोशिश की,जिसका भारतीय सुरक्षा तंत्र ने पहले ही मार गिराया,इतना ही नहीं भारतीय सेवा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कई एयरबेस, चीन निर्मित रडार सिस्टम और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्रों पर हमला कर अपनी विजय गाथा लिखी,इसके बाद भी भारत के विदेश और रक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही अधिकृत प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं भी पाकिस्तान के साथ युद्ध करने की बात नहीं की उसके द्वारा की गई कार्यवाही का माहौल जवाब देने की बात कही गई थी। 


यहां ध्यान देने योग्य तथ्य यह है की पहलगाम की घटना के बाद सरकार जब अपनी रणनीति बना रही थी सेना के साथ तब जो लोग पूछ रहे थे नरेंद्र मोदी और भारत की सेना चुप क्यों है पर यही लोग ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने लगे और युद्ध समाधान नहीं है कह कर गुहार लगाने लगे।

आज वही लोग सीज फायर पर सवाल उठा रहे,इस पर भी हमें गौर करना चाहिए।

कुछ लोग कह रहे हैं कि सीज फायर की बात सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों की?

सवाल उनका सही है पर यह आधा सच इसके लिए एक कहानी  पढ़नी पड़ेगी।

एक गांव में दो भाई थे और खेत को लेकर दोनों में विवाद था। विवाद कभी-कभी हाथापाई तक पहुंच जाता था एक भाई अपने काम धंधे की तरफ ज्यादा ध्यान देता इसलिए वह लफड़े में नहीं पड़ता था वहीं दूसरे भाई के ससुराल वाले उसे उकसाते थे उसके कारण वह अपने भाई से लड़ता था एक दिन शांत रहने वाले भाई ने उस उद्दंडी भाई का गांव की चौपाल में छोटा सा इलाज कर दिया। वह रोता रोता गांव के चौधरी के पास गया।

चौधरी ने अपने काम से काम रखने वाले भाई से बात की, उसे कहा कि चौपाल में तुम्हें इलाज नहीं करना चाहिए,तो उसने अपना पक्ष रखते हुए कहा,मैं तो कुछ करता ही नहीं हूं,आज ज्यादा कर दी तो मैंने इलाज कर दिया,अबकी बार किया तो मैं स्थायी उपचार कर दूंगा,अब सहन नहीं होता।

चौधरी ने उसे आश्वासन दिया कि मैं उसे समझा दूंगा अब आप कुछ मत करना। 

चौधरी ने अपने पास आए उद्दंडी को हड़काया,धमकाया और समझाया कि अब मत करना,आज कल पहले वाली बात नहीं है,वो अब सहेगा नहीं तो उसने कहा अब मैं कुछ नहीं करूंगा,बस वो कुछ नहीं करे।

चौधरी चौपाल में आता ही था, चौपाल में लोगों को देखकर कहा कि आज मैंने उन दोनों भाइयों को समझा दिया है आगे से अब ऐसा नहीं होगा दोनों समझदार हो गए हैं। 

अब आप ही बताइए,क्या शांत रहने वाले भाई ने गांव के चौधरी को अपना मध्यस्थ बनाया ?

शांत रहने भाई वाला भाई तो लड़ना चाहता ही नहीं था वह तो कहता भी था कि मैं तो बुद्ध को मानता हूँ जहाँ बुद्ध है वहाँ शांति ही है,पर जब वह सामने से लड़ रहा था तो उसका जवाब देने के लिए धर्म ग्रन्थ के सूत्र 

अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च अर्थात अहिंसा परम धर्म है। धर्म की सेवा में हिंसा भी परम धर्म है,का सहारा ले लिया।

अब बात यह है कि क्या भारत कोई कार्रवाई पाकिस्तान पर नहीं करेगा? क्या पहलगाम के आतंकियों का हिसाब पूरा हो गया है ? क्या भारत सरकार ने अब कोई कदम नहीं उठाने का फैसला किया है ? क्या भारत सरकार झुक गई है ? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को दी हुई छूट को वापस ले लिया है?

इन सब सवालों का जवाब आप अपने आपसे पूछे फिर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करें ।

भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को बंद नहीं किया, इसका अर्थ यह है कि भारत सरकार ना पहलगाम को भूली है, ना ही उसके गुनहगारों को। ना सेना से दी गई छूट को वापस लिया है, ना ही भारत ने पाकिस्तान पर कार्यवाही करने की  मनाही की है, तो यह सारे सवाल बेमानी हो जाते हैं कि भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर ली या भारत ने अपने कदम पीछे खींच लिए या भारत में प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध से मुंह मोड़ लिया। 

पूरी दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत की सैन्य ताकत के साथ-साथ रणनीतिक कुशलता भी देखी।

 अब तक दुनिया में ड्रोन के मामले में राज करने वाला तुर्कीय और मिसाइल रोधी सुरक्षा तंत्र रडार के बारे में डींगे हांकने वाला चीन इस बाजार से बाहर होने वाले है क्योंकि s400 के साथ-साथ दुनिया ने भारत की स्वदेशी तकनीक का भी लोहा मान लिया है।

जब बैठक में सभी दलों के नेताओं ने कहा कि हम सरकार के हर कदम में साथ हैं तो फिर आज लिए के निर्णय पर सवाल उठाना उस राष्ट्रीय सहमति से मुकरना और अपने स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय हित की बलि देना ही कहलाएगा है।

कुछ लोग यह कहते हैं कि पहली बार विपक्ष ने देश हित में साथ दिया है,यह वे लोग है जो 2014 के बाद की राजनीति जानते है, इससे पहले पीवी नरसिम्हा राव के समय उस समय के नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रभावी पक्ष रखा था,1965 और 1971 के युद्ध में भी विपक्ष साथ खड़ा था,1962 के चीन युद्ध जो नेहरू की गलतफहमी में हार गए थे और पाकिस्तान को गिलगिट बाल्टिस्तान के साथ साथ पीओके पर कब्जा करने दिया था,तब भी युद्ध के समय विपक्ष सवाल नहीं पूछ रहा था,बल्कि राष्ट्र के साथ था,सेना के साथ था तो फिर आज किस बात का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।

मेरा मानना है कि ढिंढोरा पीटकर अहसान इसलिए जता रहे है क्योंकि कारगिल के समय भी जब ये लोग विपक्ष में थे तो देश के एक ईमानदार नेता जार्ज फर्नांडिस को कफ़न चोर कहकर बदनाम किया, उन पर आरोप ही इस तरह बेबुनियाद निकले जैसे राफेल पर चौकीदार चोर कहने वालों को माफी मांगनी पड़ी थी।

इन सब घटनाक्रम का लब्बोलुआब यही है कि ना भारत रुका है ना ही मोदी झुका है,हिसाब बाकी है वो पूरा होगा ही क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर जारी है।

सादर

।।शिव।।

फोटो गुगल के सौजन्य से

Comments

Anonymous said…
सम सामयिक व सटीक
Anonymous said…
वन्दे मातरम्
जय हिन्द
Anonymous said…
Jai Shree Ram
Anonymous said…
वन्देमातरम...🙏
Anonymous said…
Bharat mata ji jai
Anonymous said…
बहुत ही सुंदर अभिलेख वर्तमान स्थिति "शिव "
भारत माता की जय
बढ़िया विश्लेषण। विपक्ष अपने खेल में लगा हुआ है। हमें अपने प्रधान सेवक पर विश्वास है।

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