नवरात्र विचार 1

 जब सब उसके हाथ है तो मैं क्यों करूँ? 

ऐसे ही कई सवाल आपके सामने कई लोगों ने रखें होंगे,  वे अपने इस सवाल के साथ श्रीराम चरित मानस की यह चौपाई सामने रख कर सवाल दागते है।






होइहि सोइ जो राम रचि राखा। 

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥


क्या इसमें कर्म की मनाही की गई है? 

क्या इसमें व्यक्ति को कर्महीन होने को कहा गया है?

क्या इसमें सब कुछ ईश्वर ही करेंगे ऐसा कहा गया है?


ऐसा नहीं है, तो क्या है इस चौपाई में? 

आइये, इसे एक उदाहरण से समझते है।

एक किसान खेत में फसल लगाता है तो उसे फसल लगाने से पहले खेत को तैयार करना है, अच्छे बीज लेने है उन्हें अच्छी तरह लगाना भी है।

पर इसके आगे बारिश होने या सूखा पड़ने , हवा चलने या हवाएं बंद हो जाने, धूप तेज या जरुरत के अनुसार आने, ओले पड़ने अथवा नहीं गिरने  जैसे काम उसके हाथ नहीं है वह तय नहीं कर सकता, यह सब कुछ विधि के हाथ है, विधाता या नियंता की मर्ज़ी पर है।

इसलिए ही इस चौपाई में कहा गया है जो व्यक्ति के प्रयासों से परे है वह ईश्वर के हाथ है, इस पर बहस नहीं हो सकती ना ही व्यक्ति दोषी होता है।

इसलिए तो भगवान श्री कृष्ण ने गीता जी में कहा है - 

कर्मणधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन... 

यही बात गोस्वामी तुलसीदास जी ने कही है, कि जो नियति, विधाता के हाथ है उस पर बहस व्यर्थ है।

अब वापस पढ़िए, 

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। 

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥





आइये, इस नवरात्र कर्म के प्रति आग्रही अपनी संस्कृति और समाज रचना को समझें, हिन्दू संस्कृति का भाग होने के लिए स्वयं पर गर्व करें, काल के साथ आई विकृति को छोड़े क्योंकि हम जड़ नहीं चेतन विचार के अनुगामी है तभी तो अमृत पुत्र कहा है हमें हमारे पूर्वजों ने।

प्रथम नवरात्र पर शुभकामनायें, माँ शैलपुत्री की कृपा सदा बनी रहे।

।। शिव।।

Comments

Anonymous said…
Jai shree Ram
Sangeeta tak said…
जय श्री राम
Vineet said…
Jai maa jagdambe 🙏🏻
Anonymous said…
जय श्री राम
Anonymous said…
आदिशक्ति मां भगवती के आस्था वाले कभी नहीं हारता 🌺
Anonymous said…
Jai shree Ram
Anonymous said…
जय श्री राम
बहुत अच्छी व्याख्या
Anonymous said…
अच्छे कर्म तो करने ही होंगे सा
जय माँ दुर्गे
"नवरात्रा" की हार्दिक शुभ कामनाएं...💐💐💐

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