#31
खून खोला हो तो खुद से करिये आज सवाल...
आज स्तब्ध हूं, मन में दुःख है,पीड़ा है, बेचैनी है, आक्रोश है,आंखों में आंसू है ,भभक रही है ज्वाला. सब कुछ स्वाहा कर देना चाहती है उस नापाक इरादे वाले पाकिस्तान का, उस विध्वंसी विचार के डीएनए को समाप्त करने के लिए उबाल खा रही है.......
कोई राजनीति नहीं, कोई नेता नहीं, कोई राजनीतिक दल नहीं बस देश चाहता है देशहित ।
किसी को यह पूछने की जरूरत नहीं 56 इंच कहां है और किसी को यह कहने की इजाजत नहीं यह है 56 इंच......
यह किसी नरेंद्र मोदी को ललकारा नहीं है,ना ही किसी राहुल को वेलेंटाइन गिफ्ट है... उन्होंने हिंदुस्तान के 125 हिंदुस्तानियों को ललकार है। यह ललकार है हर मां की कोख को, यह ललकार है तांडव करने वाले शिव को, यह ललकार है हिंदुस्तान की सरजमी पर खड़ी मस्जिदों से गूंजती है अजान को, यह ललकार है मेरे गुरु ग्रंथ साहिब को, यह एक चुनौती है चर्च के यीशु को।
इस्लाम को मानने वाले लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी हो जाती है जब ललकारने वाला इस्लाम के नाम पर ललकार रहा हो... हिंदूओं की जिम्मेदारी इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि उसके ग्रंथ कहते हैं जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है।
गुरु के बंदों की जिम्मेदारी इस ललकार के साथ बढ़ जाती है क्योंकि हमारे गुरुओं ने कहा था एक चिड़िया से सौ बाज लड़ाऊं .....
यदि यह जिम्मेदारी नहीं है आपकी, तो आप इस सरजमी पर रहने के हकदार नहीं है।
यदि आपके मन में आज भी राजनीति करने की इच्छा है.... यदि आपके मन में आज भी वतन को ललकारते इन नागों से,पत्थरबाजों से प्यार-मोहब्बत है तो आपके लिए ये हिंदुस्तान की आबो -हवा हराम है।
देश की सरकार क्या करती है यह सरकार पर छोडों ....
पर हम क्या करते हैं यह तो अपने आप से सवाल पूछो....
आर्थिक बदहाली के दौर से गुजरता पाकिस्तान आंतकवाद को कैसे पोषित कर सकता है? इसका सीधा-सीधा जवाब है उसके कंधे पर चीन का हाथ है। जो कर्ज भी देता है और उसको बढ़ावा भी.... उसकी जमीं को अपने हथियारों का जखीरा इक्कठा करने के लिए इस्तेमाल करता है... विकास योजनाओं के नाम पर हिंदुस्तान को घेरने की साजिश करता है.... तो क्या हम इतना भी नहीं कर सकते कि हम किसी भी ऐसे मुल्क की कोई वस्तु नहीं खरीदेंगे जिस के लाभ से कमाए गए पैसे का उपयोग हमारे वीर जवानों की शहादत और खून के रूप में किया जाये।
आज कुछ लिखना नहीं चाहता क्योंकि लिखते हुए हाथ कांपते हैं, आंखों के सामने खून से लथपथ वीर सैनिक दिखते हैं ..आंसुओं से भरे चेहरे पर हर मां बाप के उठते हुए सवालों को देखता हूं जो यह पूछते हैं आखिर कब तक....?
हर वह उजड़ी हुई मांग, हर वह बिलखता बच्चा हमसे सवाल करता है .... आखिर कब तक? आखिर कब तक? आखिर कब तक?
शब्द मौन है
मन बेचैन है।
अश्रुपूरित नयन है
स्तब्ध पूरा वतन है।।
गुस्से से भरा देश है
चहुँ ओर आक्रोश है।
अहसान है वो कतरा कतरा
जो लहू तुम्हारा बहा।।
बड़ी कीमत चुकाएगा दुश्मन
यह देश का वादा तुमसे रहा।
बहुत हुआ,बहुत सहा
अब बस आकंठ भरा।।
वो बूढ़ी आंखे,वो किलकारी
वो चूड़ी की खनक,सुनी राखी।
सब कुछ न्योछावर कर गए वतन पर
ये तिरंगा भरे बलिदान की साखी।।
मैं ना सरकार,ना विपक्ष हूँ
मैं हूँ बलिदानी वीरों का सेवक ।
अपनी आखरी सांस,अपनी रक्त बून्द
समर्पित करता हूँ तुम पर बेझिझक।।
नमन करूँ वंदन करूं
माँ तेरी कोख को,जो सूर जन्मा।
आज नभ में वो ध्रुव तारे-सा
दे शहादत जगमग चमका।।
।।शिव।।
जय हिंद।
खून खोला हो तो खुद से करिये आज सवाल...
आज स्तब्ध हूं, मन में दुःख है,पीड़ा है, बेचैनी है, आक्रोश है,आंखों में आंसू है ,भभक रही है ज्वाला. सब कुछ स्वाहा कर देना चाहती है उस नापाक इरादे वाले पाकिस्तान का, उस विध्वंसी विचार के डीएनए को समाप्त करने के लिए उबाल खा रही है.......
कोई राजनीति नहीं, कोई नेता नहीं, कोई राजनीतिक दल नहीं बस देश चाहता है देशहित ।
किसी को यह पूछने की जरूरत नहीं 56 इंच कहां है और किसी को यह कहने की इजाजत नहीं यह है 56 इंच......
यह किसी नरेंद्र मोदी को ललकारा नहीं है,ना ही किसी राहुल को वेलेंटाइन गिफ्ट है... उन्होंने हिंदुस्तान के 125 हिंदुस्तानियों को ललकार है। यह ललकार है हर मां की कोख को, यह ललकार है तांडव करने वाले शिव को, यह ललकार है हिंदुस्तान की सरजमी पर खड़ी मस्जिदों से गूंजती है अजान को, यह ललकार है मेरे गुरु ग्रंथ साहिब को, यह एक चुनौती है चर्च के यीशु को।
इस्लाम को मानने वाले लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी हो जाती है जब ललकारने वाला इस्लाम के नाम पर ललकार रहा हो... हिंदूओं की जिम्मेदारी इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि उसके ग्रंथ कहते हैं जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है।
गुरु के बंदों की जिम्मेदारी इस ललकार के साथ बढ़ जाती है क्योंकि हमारे गुरुओं ने कहा था एक चिड़िया से सौ बाज लड़ाऊं .....
यदि यह जिम्मेदारी नहीं है आपकी, तो आप इस सरजमी पर रहने के हकदार नहीं है।
यदि आपके मन में आज भी राजनीति करने की इच्छा है.... यदि आपके मन में आज भी वतन को ललकारते इन नागों से,पत्थरबाजों से प्यार-मोहब्बत है तो आपके लिए ये हिंदुस्तान की आबो -हवा हराम है।
देश की सरकार क्या करती है यह सरकार पर छोडों ....
पर हम क्या करते हैं यह तो अपने आप से सवाल पूछो....
आर्थिक बदहाली के दौर से गुजरता पाकिस्तान आंतकवाद को कैसे पोषित कर सकता है? इसका सीधा-सीधा जवाब है उसके कंधे पर चीन का हाथ है। जो कर्ज भी देता है और उसको बढ़ावा भी.... उसकी जमीं को अपने हथियारों का जखीरा इक्कठा करने के लिए इस्तेमाल करता है... विकास योजनाओं के नाम पर हिंदुस्तान को घेरने की साजिश करता है.... तो क्या हम इतना भी नहीं कर सकते कि हम किसी भी ऐसे मुल्क की कोई वस्तु नहीं खरीदेंगे जिस के लाभ से कमाए गए पैसे का उपयोग हमारे वीर जवानों की शहादत और खून के रूप में किया जाये।
आज कुछ लिखना नहीं चाहता क्योंकि लिखते हुए हाथ कांपते हैं, आंखों के सामने खून से लथपथ वीर सैनिक दिखते हैं ..आंसुओं से भरे चेहरे पर हर मां बाप के उठते हुए सवालों को देखता हूं जो यह पूछते हैं आखिर कब तक....?
हर वह उजड़ी हुई मांग, हर वह बिलखता बच्चा हमसे सवाल करता है .... आखिर कब तक? आखिर कब तक? आखिर कब तक?
शब्द मौन है
मन बेचैन है।
अश्रुपूरित नयन है
स्तब्ध पूरा वतन है।।
गुस्से से भरा देश है
चहुँ ओर आक्रोश है।
अहसान है वो कतरा कतरा
जो लहू तुम्हारा बहा।।
बड़ी कीमत चुकाएगा दुश्मन
यह देश का वादा तुमसे रहा।
बहुत हुआ,बहुत सहा
अब बस आकंठ भरा।।
वो बूढ़ी आंखे,वो किलकारी
वो चूड़ी की खनक,सुनी राखी।
सब कुछ न्योछावर कर गए वतन पर
ये तिरंगा भरे बलिदान की साखी।।
मैं ना सरकार,ना विपक्ष हूँ
मैं हूँ बलिदानी वीरों का सेवक ।
अपनी आखरी सांस,अपनी रक्त बून्द
समर्पित करता हूँ तुम पर बेझिझक।।
नमन करूँ वंदन करूं
माँ तेरी कोख को,जो सूर जन्मा।
आज नभ में वो ध्रुव तारे-सा
दे शहादत जगमग चमका।।
।।शिव।।
जय हिंद।
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