हकीकत जाननी हो तो वीर हकीकत राय को जानिये...बसंत पंचमी को हुए जो स्वधर्म पर बलिदान...
बसंत पंचमी केवल मां शारदे की वंदना का उत्सव नहीं बल्कि एक गर्वीले बलिदान की गाथा का दिन भी है ।महज 14 साल के एक वीर बालक ने स्वधर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। आज हमें असहिष्णु बता कर समानता का पाठ पढ़ाने वाले लोग काश! वीर हकीकत राय की कथा पढ़े होते.... अखंड भारत के सियालकोट में कार्तिक कृष्ण द्वादशी संवत 1728 में लाला भागमल पुरी और माता गौरा देवी की कोख में जन्मे हकीकत राय शुरू से ही पढ़ाई में कुशाग्र थे । उस दौरान व्यवसाय में फारसी भाषा का इस्तेमाल होता था पिता लाला भाग मल ने सोचा की व्यवसाय की तरक्की के लिए फारसी भाषा का ज्ञान जरूरी है इसलिए उन्होंने अपने पुत्र हकीकत राय का मदरसे में दाखिला करवा दिया । जहां वो एकमात्र हिंदू विद्यार्थी थे, बुद्धि कौशल में सब पर भारी पड़ने वाला हकीकत राय जल्द ही पढ़ाने वाले मौलवी का तो प्यारा बन गया पर वहां पढ़ने वाले सारे बच्चों की आंख की किरकिरी बन गया । एक दिन जब हकीकत राय अपने घर में धार्मिक अनुष्ठान कर मदरसे में आए तो माथे पर तिलक लगा रखा था, माथे पर तिलक लगा हुआ देखकर विधर्मियों को अच्छा नहीं लगा और वह टीका-टिप्प...