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Showing posts from July, 2021

जीवन की पूंजी

 निखिल आज अपनी शादी के बाद होने वाले प्रीतिभोज के कार्ड बांटने निकला हुआ था,साथ में उसके कोमल भी थी....वही कोमल जो अब उसकी जीवन संगिनी बन चुकी है। अपने मित्र सौरभ के घर कार्ड देकर आते हुए उसे अचानक स्कूली दिनों वाले नरेंद्र सर का ध्यान आया,जो उस पर बहुत ही स्नेह रखते थे।उनका घर सौरभ के आगे वाली गली में था। वह उधर ही मुड़ गया,घर ढूंढने में कोई परेशानी नहीं थी,क्योंकि बचपन में सैकड़ों बार आया हुआ था। घर के बाहर पहुंचा तो कोमल भी साथ जाने लगी तो निखिल ने यह सोचकर मना कर दिया,क्या पता सर भूल गए हो और उनकी क्या प्रतिक्रिया हो। निखिल ने घर पर जाकर डोरबेल बजाई तो किसी बच्चे ने दरवाजा खोला। अंदर कमरे में नरेंद्र सर आरामकुर्सी पर बैठे थे,सर को देखते ही निखिल ने प्रणाम किया। निखिल ने बताया सर मैं निखिल....सुनते ही आंखों में चमक आ गयी,अरे तू तो पूरा बदल गया, कहा नन्हा सा निक्की और कहा आज निखिल....पास पड़ी कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा। निखिल ने निमंत्रण पत्र दिया तो बोले-यह क्या है बेटे?  सर, मेरी शादी हो गयी है,कल प्रीतिभोज रखा है एक से दो होने की खुशी में...हंसते हुए निखिल ने कहा। "क्या...

कंकाल

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 आजकल गोमती भुआ कहाँ गई...? भुआ की कोठी के सामने खड़े गाय-भैंस के झुंड को सावधानी से पार करते हुए रोशनी ने सलोनी से पूछा। सलोनी से पहले जबाब दिया सुनीता चाची ने-"स्वाति के कारण मुँह दिखाने लायक नहीं रही तो एक दिन पता नहीं कहाँ चली गयी,तब से कोठी खाली है और ढोर इसकी छांव में सुस्ता लेते है।" चाची ने बात आगे बढ़ाई,जानती हो रोशनी बिटिया उस कलमुँही ने  पड़ोस वाले गांव के जो जुम्मन मियां है उसके बेटे से भागकर निकाह कर लिया,तब से अब तक उसकी शक्ल किसी ने नहीं देखी। गांव के एक दो छोरे जो उसके आगे पीछे घूमते थे उन्होंने भी उसके दीदार की कोशिश की पर उसे देख नहीं पाये। सब लोग कहते है कि उन लोगों के बुर्का होता है,इसलिए कोई देख नहीं पाता। साथ चल रही सलोनी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक सवाल दागा- पर्दा,घूंघट तो हमारे ही रखते थे पर आजकल देखो हम सब कैसे आजाद है,पर अब भी बुर्के से बाहर क्यों नहीं आई...? इसका जबाब दोनों के पास ही नहीं था तो बात बन्द हो गयी। रोशनी पांच साल बाद अपने घर आई थी। बचपन में देखी स्वाति का चेहरा उसकी आँखों के सामने घूमने लगा। मासूम सी हंसी के बीच उसकी बड़ी कजरारी आंखों में ...

बहू नहीं बेटी है....

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 "अब कैसे करेगी तू..?तुम्हें मम्मी पापा ने कितनी बार समझाया था कि अपनी सास-ननद के साथ बुरा व्यवहार मत किया करो, अब वे ही तुम्हारी माँ-बहन है। तुम जितना अच्छा व्यवहार करोगी उतनी ही शांति घर में रहेगी और जीवन में सुख मिलेगा। तुम किसी की कब सुनती हो जो अब सुनते।  छोटी-छोटी बातों में सास को  जनरेशन गैप होने का एहसास करवाना, कभी उसके कम पढ़े-लिखे पर टिप्पणी करना... तो कभी कुछ नहीं जानने पर गवार कहकर हंसी उड़ाना ....कभी किट्टी पर अपनी सहेलियों को बुलाकर को नीचा दिखाने की हर संभव कोशिश करना । तुमने तो यहां तक गिरी हरकत की जब उन्होंने आंखों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया तो तुम एक महीने के लिए मम्मी के पास आ गयी,जीजू के मना करने के बावजूद।  कल से देख रही हूं तुम्हारी सास औऱ ननद तेरी सेवा के लिए एक पांव पर खड़ी है....अब तुम्हारी सेवा कौन करेगा,जबकि डॉक्टर कह रहे है तुम 6 महीने तक बेड रेस्ट करोगी....माँ से भी बात हुई वो भी चिंतित है,भाभी के भी बच्चा होने वाला है तो तुम्हें ले जा नहीं सकते.... हम सब दुःखी है यह सोचकर की तेरी सेवा करेगा कौन....?  बड़ी बहन श्वेता ने सीमा से कह...