सुखद बदलाव
स्वाति बाथरूम में कपड़े धो रही थी। सास ससुर और शशांक डाइनिंग हॉल में बैठे थे । तभी अचानक प्रशांत की आवाज आई "चाय ले लो! चाय गरमा गरम चाय।" प्रशांत की आवाज सुनकर स्वाति चोंक गई, शादी के सात साल में आज पहली बार प्रशांत ने चाय बनाई है। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसे चाय लाता देखकर सास बोली "अरे! तूने चाय बनाई है,आजकल की बहुएं भी पता नहीं घर पर क्या सीख कर आती है या नहीं । लाज शर्म सब छोड़ दी आजकल की बहुओं ने... तुझसे नहीं बन रही थी तो मुझे कह देती, बीनणी.... मैं ही बना देती.... पूछ अपने ससुरजी को शादी को 40 साल हो गए मजाल है एक दिन भी इनको अपने हाथ से पानी लेकर पीने दिया हो..." पता नहीं सासु जी क्या क्या बोलती रही । प्रशांत ने बात बदलने के मतलब से फिर कहा " माँ-पापा! चाय पी कर बताओ कैसी बनी है एक घूंट में ताज़गी आ जायें.. फिर कुछ बोलो ..." अरे स्वाति! सुन चाय पी ले...कपड़े बाद में धो लेना नहीं, तो चाय ठंडी हो जाएगी।" प्रशांत आज अलग ही मूड में था। "कोई हमारे हाथ की चाय पीकर भी तो बताएं आखिर हम कैसी बनाते हैं।" स्वाति को सुनकर अच्छा लग रह...